प्रीत की बौछार होली में- स्नेहलता नीर

लबालब प्यार से सब हो गए शरसार होली में।
रँगों के साथ करते प्रीत की बौछार होली में

गिरा दी जाति मज़हब की खड़ी दीवार होली में
इसाई सिक्ख हिन्दू औ मुसलमाँ यार होली में

तुम्हीं दिल में बसे मेरे तुम्हीं से प्यार करती हूँ।
सभी के सामने करती सनम इज़हार होली में

गुलाबी हो गए आरिज़, नज़र से जब मिलीं नजरें।
छुपा कर रुख़ मैं चिलमन में करूँ दीदार होली में

मिला अहवाल आने का सनम का एक मुद्दत से
यही अहवाल है मेरे लिए उपहार होली में

वसीला है मुझे तुमसे, तुम्हीं से ये बहारें हैं
तुम्हीं से लग रहा है स्वर्ग सा संसार होली में

हुआ दीदार जब से कुछ शगूफा हो गया ऐसा
ख़ुशी से हो गया है क़ल्ब भी गुलदार होली में

निरख कर आईना सजने संवरने मैं लगी देखो
सनम ने बेकली का कर दिया मिस्मार होली में

खिले गुल हैं फलासी सुर्ख़ ये आभास देते हैं
लगी है आग वन सब हो गए अंगार होली में

खिले बेला कहीं चंपा चमेली, गुल गुलाबों के
कहीं सरसों खिली पीली कहीं कचनार होली में।

पवन सुरभित दिशाएँ हों गईं सुरभित सभी अब तो
उड़े तितली के दल अलि कर रहे गुंजार होली में

हुई गुलज़ार धरती लग रही दुल्हन नवेली सी
करे बहु रंग पुष्पों से धरा श्रृंगार होली में

-स्नेहलता नीर