धरती- मिली अनिता

धरा हो आप धरती हो
हर इंसान के माँ की प्रतिबिंब
आपसे मिलती है!!
जिसने सिर्फ़ सहा है
कुछ भी नहीं कहाँ है!
निर्मलता आप दोनो में ही
खुटकुट कर भरा है!!
जिसने जो बोया है
वही आप से पाया है!!
आपके बच्चे खुश रहे
यही दोनों (धरती माँ)
माँ की दुआ है
हरियाली के चादर से लिपटी
जब जब आपका श्रृंगार हुआ है
स्वर्ग पृथ्वी पर ही होने का एहसास हुआ है!!
सब भार अकेले ही सहती हो
सीख भी देती हो!!
पौधा अगर टेढ़ा लगाया
तो …..टेढ़ा ही वृक्ष निकालेगा!!
जब बच्चे ही पर्यावरण को दूषित करे
तो आप क्या कर सकती हो
आप तो (धरती) माँ हो इसलिए
चुपचाप सब देखती हो सहती हो…

-मिली अनिता