चैत्र नवरात्रि का महत्व: सोनल ओमर

मंगलवार से चैत्र नवरात्रि का आरंभ हो चुका है। नौ दिनों तक यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इन नौ दिनों में माता रानी के अलग अलग नौ स्वरूपों की भव्य पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसीलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू वर्ष शुरू होता है।

चैत्र नवरात्र के तीसरे द‌िन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। इसके बाद भगवान व‌िष्णु का सातवां अवतार जो भगवान राम का है, वह भी चैत्र नवरात्र में हुआ था। इसल‌िए धार्म‌िक दृष्ट‌ि से चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है। इसके अलावा कहा जाता है भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्‍म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था। इसलिए धार्मिक दृष्टि से भी चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है।

अमावस्या की रात से अष्टमी तक या गुड़ी पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम के अनुसार चलने से नौ रात यानी ‘नवरात्र’ नाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है। इस दिन से कई लोग नौ दिनों या दो दिन का उपवास रखते हैं।

नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। जिसमे चैत्र और आश्विन की नवरात्रियों का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि से ही विक्रम संवत की शुरुआत होती है। इन दिनों प्रकृति से एक विशेष तरह की शक्ति निकलती है। इस शक्ति को ग्रहण करने के लिए इन दिनों में शक्ति पूजा या नवदुर्गा की पूजा का विधान है। इसमें मां की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।

नौ देवियाँ पहली शैलपुत्री (इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है), दूसरी ब्रह्मचारिणी (इसका अर्थ- तप का आचरण करने वाली), तीसरी चंद्रघंटा (इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली), चौथी कूष्माण्डा (इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है), पाँचवी स्कंदमाता (इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता), छठवीं कात्यायनी (इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि), सातवीं कालरात्रि (इसका अर्थ- काल का नाश करने वली), आठवीं महागौरी (इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां) और नवीं सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली) है। नवरात्रि के नौ दिन पूजा अर्चना एवं व्रत करने के पश्चात नवरात्रि व व्रत का पारण (समापन) नवमी को कन्याओं को भोजन करा कर किया जाता है।

सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश