पहले मुझको वर लेना- स्नेहलता नीर

परम लक्ष्य संधान करो जब, याद मुझे भी कर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

पथ के शूल सभी चुन लूँगी, दूँगी तुम्हें सहारा मैं
अँधियारा जब घोर घिरेगा, जगमग बनूँ सितारा मैं
जितनी भी चाहो तुम उतनी, दुष्कर सजन डगर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

कड़ी धूप में शीतल छाया, प्रियतम मैं बन जाऊँगी
आएँगे निद्रा के झोंके, उनको डाँट भगाऊँगी
विस्तृत गगन नापना तुमको, चुनकर पंख प्रवर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

जब आशाओं के दीपक की, लौ धीमी पड़ जाएगी
नैया बिना खिवैया, आँधी, प्रतिपल तुम्हें डराएगी
मैं पतवार बनूँगी तुम भी, नदिया पार उतर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

दृढ़ संकल्प, इरादा पक्का, संघर्षो को जीत मिले
मान और सम्मान सभी को, अविरल प्रीति पुनीत मिले
गाँठ बाँधकर ये सब बातें, तुम अंतर में धर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

जोश जगाकर, हिम्मत रखकर, दृष्टि ध्येय पर नित रखना।
कीर्ति-पताका फहराने को, संकल्पित अनुदिन बढ़ना
समरसता, सद्भावों को तुम, नीर बना सहचर लेना
साया बनकर साथ चलूँगी, पहले मुझको वर लेना

– स्नेहलता नीर