चिड़िया: गौरीशंकर वैश्य

चिड़िया जानती है
उसे तो उड़ना ही है
आकाश से जुड़ना ही है
वह नहीं लेती
किसी संस्थान से शिक्षा
उसको कोई धर्म गुरु
नहीं देता दीक्षा
न कोई परीक्षा
न साक्षात्कार
वह नहीं पूछती
किसी चिकित्सक से
पौष्टिक आहार
उसकी कोई नहीं करता
अगुवाई
वह नहीं चाहती
अपनी किसी क्षति की भरपाई
वह अपने पंखों को खोलती है
अलग अलग दिशाओं के
तेवर तोलती है
उसे है
अपने पंखों पर भरोसा
उसने कभी ईश्वर को
नहीं कोसा
उसे पता है
वह मरेगी
फिर भी अंत्येष्टि की
चिंता नहीं है उसे
किसी के
हाँ या न में
उसे कोई भेद नहीं
चिड़िया होने का भी
कोई खेद नहीं
वह बच्चों के बड़े होते ही
दे देती है सारे उत्तराधिकार
निर्भय होकर जीने का
सिखा देती है संस्कार
दे देती है अपने बच्चों को
अपना कला कौशल
अपनी भाषा
उड़ने का शौर्य, विश्वास और आशा
देती है मंत्र
उड़ान नहीं है दयनीयता
यही है जीवन की कमनीयता

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
संपर्क- 09956087585