एक लम्हा इश्क़ का: रकमिश सुलतानपुरी

इश्क़ की हद जानता है बच्चा-बच्चा इश्क़ का
कौन कहता है बुरा होगा नतीज़ा इश्क़ का

इश्क़ के दरिया से है सबको गुज़रना एक दिन,
और है सबको भुगतना ख़ामियाज़ा इश्क़ का

टीस, उलझन, बेकसी, दर्द, नफरत दूरियां ,
खामुशी तू ही बता अपना इरादा इश्क़ का

इश्क़ में खुश देख उसको क्यों परेशां लोग है,
लोगों को भी तो मिलेगा एक मौक़ा इश्क़ का

इश्क़ साहिल इश्क़ मंज़िल इश्क़ इक पैग़ाम है,
इश्क़  ख़ुद का रास्ता है इश्क़ दरिया इश्क़ का

साल दिन या फिर  महीनों चाहिए किसको यहाँ,
ज़िन्दगी भर का सुकूँ है एक लम्हा इश्क़ का

इश्क़ है कायम तो ‘रकमिश’ ज़िंदगी ताजातरीन,
भूल जाती दुनिया वरना सारा किस्सा इश्क़ का

रकमिश सुल्तानपुरी