अब्दुल क़लाम को मेरा सलाम: अनिल संधु

पढ़े, पढ़ाया आगे क़दमों को बढ़ाया
कुछ से सीखा और कुछ को सिखाया

ज़िंदगी के हर पड़ाव में आप हँसे
साथ वाले दूर वाले सबको हंसाया

बनाई अग्नि ब्रह्मसोस जैसी मिसाईल
बनाई राखी हमेशा चेहरे पर स्माईल

दान कर दी अपनी सारी कमाई
जिससे हुई कई लोगों की भलाई

दिखता था हर विद्यार्थी में अविष्कार
जो भविष्य में करेगा नया चमत्कार

कभी न था अहंकार राष्ट्रपति होने पर
गर्व था अपनी शिक्षा और आदर्शों पर

खो दिया भारत देश ने एक ऐसा सपूत
जिनका सूत्र था मिसाइलों का मूलभूत

अनिल संधु
टी. जी. टी. शिक्षक,
मालवा खालसा सीनियर सैकण्डरी स्कूल,
लुधियाना
9646484802