चल साथी धीरे-धीरे: संजय राव

चल साथी धीरे धीरे
संग मेरे हाथ ले के
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

अँखियों की भीगी पलकें
बाबुल का प्यार है
माँ की वो प्यारी सूरत
करे ज्यों दुलार है
झूला झुलाए है जो
आँचल में थाप दे के
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

भैया की प्यारी झिड़की
और फिर दुलारना
बहना से गुड़ियों के संग
शिद्दत से खेलना
आते हैं याद मुझको
सपने सुहाने बनके
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

नभ में घनेरे बादल
बहे है बयार पुरवा
नदिया ने ली अंगड़ाई
कूलों से प्यार मितवा
दिल में हिलोरें उठतीं
मनवा है आज बहके
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

कोयल की कूक से है
गूंजी अमराइयाँ
काटे से ना कटती हैं
बैरन तनहाइयाँ
सिहरन सी उठती जाए
तेरा स्पर्श पा के
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

अपना ये साथ प्यारा
जनमों का साथ है
तेरे ही मान में अब
मेरा सम्मान है
दिल है मेरा ये धड़के
तेरी अब सांस बनके
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

संग मेरे हाथ ले के
सुंदर सुहाना मौसम
मन में है प्यार थिरके
चल साथी धीरे धीरे

संजय कुमार राव