कि ज़रुरी है तुम्हारा हँसना: स्मिता सिन्हा

सब कुछ ख़त्म
होने के बाद भी
तुम बचा ले जाना
थोड़ी-सी हँसी

बस उतनी ही भर
जितनी ज़रुरी हो
किसी बंजर पड़ी
धरती की नमी के लिये

बस उतनी ही भर
जितनी ज़रुरी हो
आँखों भर
नीले सपनों के लिये

बस उतनी ही भर
कि हम खड़े रह पायें
इस भयावह वक़्त के विरुद्ध

बस उतनी ही भर
कि खिलखिला उठे
एक उदास नदी
तुम्हारी हँसी में

स्मिता सिन्हा