प्रेम और एकता: पूजा कुमारी

बेफिक्र आसमान में,
उड़ने की चाह है रखते,
सम्पूर्ण जहां को,
प्यार के सुंदर धागे में,
एक साथ पिरोने को हैं फिरते

बंटे मज़हब के टुकड़ों में,
लोगों को इंसानियत वाली राह है बतलाते,
प्रेम और एकता की धारा में,
संग बहने को प्रेरित है करते

स्वतंत्र स्वयं के जैसे ही,
सारे जहां में मानवता को,
ज़िंदा रखने का ये संदेश हैं देते,
सीमाओं के जाल में,
बंटी इस धरा को
बेफिक्र पार है कर जाते

माँ धरा की
गौरव गाथा की कीर्ति हैं बढ़ाते,
हमें एक शांति का प्रतीक है ये दे जाते,
बिन कहे ही सब कह है जाते,
मानवता की राहों पर चलना है सिखलाते

सारे देश, जहां के बीच बसी,
कड़वाहट को खत्म कर,
प्रेम की भाषा हमें हैं सिखलाते,
है ये वही कोमल हृदय वाले पंछी,
जो सुंदर प्यार के परिंदे है कहलाते।

पूजा कुमारी
बीए छात्रा,
PGGCG-42, चंडीगढ़