हिन्दी मेरे देश की आशा: अतुल पाठक

हिन्दी मेरे राष्ट्र की भाषा,
हिन्दी मेरे देश की आशा।

हिन्दी साहित्य उन्नयन हो,
यह मेरी है अभिलाषा।

हिन्दी के बोल बड़े अनमोल,
निजभाषा के भाव किलोल।

मीठी बोली अद्भुत भाषा,
हिन्दी संग बढ़ती प्रेम पिपासा।

हिन्दी में सब काम करूँ मैं,
हिन्दी का ही नाम करूँ मैं।

संस्कृत से बहती संस्कृति की धारा,
हिन्दी में रमाया हिन्दुस्तान सारा।

मन को भाती यह निज भाषा,
हिन्दी मेरे देश की भाषा।

राष्ट्रगौरव की है परिभाषा,
हिन्द की आशा हिन्दी भाषा।

अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश