मृदु भावों को जीवन दो: प्रार्थना राय

कर रही हूं याचना, हृदय की मनुहार सुन लो
बांसुरी की धुन संग, मृदु भावों को जीवन दो
अर्चना की थाल में, प्रेम पुंज संवार दो
एकान्त की अग्नि में धधकूं, हाथ मेरा थाम लो

व्याकुल मन की व्यथा में, प्रेम रस पोर दो
पवन की खुशबू संग आकर बहार दो  
फूल संग खेलते भँवरे, वैसा उमंग भर दो
कर रही हूं याचना, हृदय की मनुहार सुन लो

बीत ना जाये मधुमास सुहाना, इतना प्यार दो
बादलों के झुरमुटों संग, बरसात बन बरस पड़ो
वेदना के अधरों पे, अमृत की फुहार कर दो
कर रही हूं याचना, हृदय की मनुहार सुन लो

मन की कोमल धरा पर, मुस्कान पसार दो
रोम-रोम में चन्दन सुगंध भर दो 
तृप्त हो भावना, स्नेह का श्रृंगार कर दो
कर रही हूं याचना, हृदय की मनुहार सुन लो

रच दो हाथों में मेहँदी, लालिमा सी कांति दो
झांझरों की झनक संग, नया संगीत लिख दो
दो प्राणों के मिलन को, ठहराव दो
कर रही हूं याचना, हृदय की मनुहार सुन लो

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश

कविता- सुनो प्रियवर: प्रार्थना राय