आगे बढ़ा हुआ हाथ: जसवीर त्यागी

कभी-कभी
सड़क पार करने से हिचकते हैं हम
खड़े रहते हैं
एक ही जगह पर देर तक
मन की उलझन फैलती जाती है

लेकिन! जब कोई
हमारी इस दुविधा 
और कशमकश को जानकर 
बढ़ाता है अपना हाथ हमारी ओर
फिर वही दुर्गम-सा दिखने वाला रास्ता
सरल लगता है

ऐसा नहीं है कि
हाथ थामने वाला इंसान
अपनी पीठ पर या गोद में लेकर 
रास्ता पार कराता है हमें
वह तो खुद के पैरों पर ही
चलकर तय करते हैं हम

वह तो बस
हमारा हाथ थामता है
उसी से हमारे अंदर का
सुप्त हौसला जाग जाता है
हौसले की आँख से
हर मंजिल साफ दिखती है

किसी की ओर हाथ बढ़ाना
संजीवनी है मनुष्यता की

हम आगे बढ़ा हुआ
वही हाथ हैं
जो सदा एक-दूसरे के साथ है

जसवीर त्यागी