अनिवार्यता: प्रार्थना राय

मेरे जीवन में तुम्हारी उपस्थिति की
अनिवार्यता की व्याख्या करना मेरे
लिए संभव नहीं

मेरे एकांत में सदैव तुम्हारा साथ होना
ऐसा प्रतीत होता जैसे ब्रह्मांड के
समस्त ग्रह नक्षत्र महीतल पर
अपने ओज का प्रदर्शन एक साथ कर रहे हों

जिससे मेरे मन मस्तिष्क में
आलौकिक ऊर्जा का संचार हो रहा हो
तुम्हारा आलिंगन जैसे सरिता के अस्तित्व का
पयोधि में समाहित होना

तुम्हारा मंदहास जैसे समस्त वातावरण में
मधुर संगीत की ध्वनि बिखरी हो
जिससे मेरे अवचेतन में तृप्ति प्रतीत होती है
तुम्हारे स्पर्श से मानो स्वर्ण को छू गया हो कुंदन

विराम लग जाते हैं मेरे शब्दों पर
जब भी सोचती हूँ तुम्हारा साहचर्य
तुम्हारी अनिवार्यता की व्याख्या करना
मेरे लिए कठिन ही नहीं अपितु असंभव है

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश