बुलंद हौसले: प्रियंका सिंह

प्रियंका सिंह
चंडीगढ़

बुलंद थे उनके हौसले इस जहां में
जीये भी वतन के लिए
मरे भी वतन के लिए
कश्मीर की वादियों में आँधी तूफान से भी लड़े
मौसम की मार से भी नहीं डरे
हिमालय की गोद में रहकर
जिंदगी के पल वतन के नाम करे

आतंकवाद का खात्मा वो करने चले
राहों की मुश्किलों को देखकर,
उनके कदम कभी पीछे नहीं मुड़े
ज़िद के पक्के थे बाजुओ में फ़ौलाद था
दिल में देशभक्ति की आग थी
जान से ज्यादा, मान से ज्यादा,
उनके लिए तिरंगे की शान थी

ख़ौफ ना था मौत का
उनकी जिंदगी तो वतन पर क़ुर्बान थी
दुश्मन से नहीं डरे,
उनकी धरती पर जाकर लड़े 

कदम-कदम पर खतरा था जान का मगर
उनके हौसले कभी नहीं झुके
बारूदों से नहीं डरे, गोलियों से नहीं डरे
वतन के वास्ते वे आखिरी साँस तक लड़े 
यूँ ही नहीं तिरंगा कफ़न के लिए मिला