एहसास: प्रीति

इन पलकों ने किसी को छुपाया है
इन आंखों को उस की तलाश है
इस दिल में छुपी एक बात है
एक चेहरे ने मेरा दिल चुराया है

मैं तो अजनबी ख़्यालों में खोने लगी
दिल में अजब सी हलचल रहने लगी
कुछ समझ ना आए कब कैसे
मैं तुम्हारी होने लगी

ज़िक्र तुम्हारा मेरी बातों में होने लगा
ख़्वाबों में तुम रहने लगे
जैसे रोशनी दीपों की
वैसी जिन्दगी तुम बनने लगे

कहना चाहूँ तुम से पर कह ना पाऊं
एहसास बहुत है पर समझा ना पाऊं
है तुम से मोहब्बत
ये बयान ना कर पाऊं

प्रीति
चंडीगढ़