एक तन्हा दिल: सचिन मिश्रा

इन दिनों अब साथ रहता नहीं कोई,
एक तन्हा दिल था जो अब लापता है कहीं

ग़र मिले तुम्हें तो ब-ख़बर लौटा देना मुझे,
ग़र हो जाए इल्तिज़ा तो थोड़ा सहला देना उसे,

यकीनन वो तुम्हें ब-उदास, ब-ख़ामोश मिलेगा,
आहिस्ता से छूना उसे वो डरा, सहमा, दुबका मिलेगा,

तुम छेड़ देना कोई मोहब्बत का वाकिया,
वो सुनाएगा तुमको कई किस्से, मतले, काफिया,

बस एक ख़्वाहिश लिए ज़िंदगी को जी रहा है,
न मालूम कि कैसे उलझन-ए-ग़म को पी रहा है,

तलाश है उसे कि कोई मिले उसके जैसा,
जो चाहे उसे किसी महबूब के जैसा,

वो हर-एक वादे पर ख़रा उतरेगा,
वो तुमसे मोहब्बत बेपनाह करेगा

सचिन मिश्रा ‘मिज़ाज़ी’
कानपुर, उत्तर प्रदेश
संपर्क- 7404624679