मिट्टी और फूल: जसवीर त्यागी

डाल से टूटा हुआ फूल
फिर से डाल पर
लग नहीं सकता

वह मुरझाकर,सूखकर
मिट्टी में मिल सकता है

पुष्प के जीवन की
यही सार्थकता है

अल्प अवधि में भी
उसने अपना परिवेश
या किसी का
घर-आँगन महकाया तो सही

यही सोचकर
खुद को करता है
मिट्टी के हवाले

यह जानते हुए
कि उसका जन्म भी
एक दिन मिट्टी से ही हुआ था

जसवीर त्यागी