हिंदी: गौरीशंकर वैश्य

जन-गण-मन का अनवरत घोष
जय जय भारत, जय जय हिंदी

व्यापक, सुग्राह्य, अति सहज सुगम
भूमंडल की प्रिय जन वाणी
व्यवहार माध्यम सरल सुलभ
हिंदी स्वदेश हित कल्याणी

सम्मोहित करती है जग को
मधुरिम वीणा स्वर लय हिंदी

लिपि देवनागरी वैज्ञानिक
है भारतीयता का प्रतीक
दुलराती हमें मातृभाषा
शुचि संस्कृत की तनया अभीक

विज्ञान-ज्ञान में सर्वोपरि
देती नूतन परिचय हिंदी

सांस्कृतिक एकता की वाहक
स्नेहिल संप्रेषण में सक्षम
विपणन-ग्राहक का भावसेतु
संगणक कार्यों में उत्तम

बढ़ती जाती है लक्ष्य ओर
दुर्गम पथ पर निर्भय हिंदी

लेकर संकल्प एकजुट हों
हम निज भाषा में करें काम
उर में गौरव का भाव भरें
हिंदी का ऊँचा करें नाम

संचार माध्यम यश गाते
साहित्य कोष अक्षय हिंदी
जय जय भारत, जय जय हिंदी

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-226022
दूरभाष- 09956087585