डिजिटल युग: गौरीशंकर वैश्य

मनुष्य
समेटे है
अपने स्मार्ट फोन में
रंगीन पर्दे की चमक
फैशन की धमक
ज्ञान का पिटारा
जैसे
मुठ्ठी में हो जग सारा

वह सेंकता है आँखें
तस्वीरों से
बुनता है सपने
टेढ़ी मेढ़ी लकीरों से
वह वार्तालाप करता है
अपने सुदूर मित्रों से
दर्शाता है अपना व्यक्तित्व
अनेक चरित्रों से 

प्राण बसते हैं फोन में
आनंद मिलता है रिंगटोन से
बदल गये हैं
मनोरंजन के समीकरण
हो गया है
अमीर-गरीब का ध्रुवीकरण 

वास्तविकता से अधिक
प्रभावी है प्रदर्शन
आभासी सुख का है आकर्षण
सत्यता नेत्रों से दूर है
मनुष्य छलावों में चूर है
पहचान लें यथार्थ मुस्कान
छिपा मिलेगा 

इंद्रधनुषी आसमान के पीछे
चल रहा घमासान
समझें प्रकृति का विधान
और लिखें स्वयं
अपने जीवन का संविधान

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
संपर्क- 09956087585