अहसास: अंकिता वासन

जहां मैं हर छोटी छोटी बात पर मुस्कुराती थी
वहीं आज हर बात को दिल से लगाने लगी हूं
शायद आज मैं बड़ी हो गई हूं

जहां मेरे मां-बाप मुझे समझाते थे
कि जीवन की लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ती है
मुझे आज उनकी बात समझ आने लगी है शायद
आज मैं बड़ी हो गई हूं

जहां मैं हर एक रिश्ते को
अपना खास  समझती थी।  परंतु धीरे-धीरे
उन रिश्तो की असलियत  मेरे सामने आने लगी है
शायद आज मैं बड़ी हो गई हूं

जहां मैं बचपन में हर
छोटी-छोटी बात पर जिद करती थी
वही आज हर बात को समझने लगी हूं
शायद आज मैं बड़ी हो गई हूं

अंकिता वासन