जबलपुर: चित्रकारों ने बैलेसिंग रॉक को दी नई दृष्टि

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जबलपुर स्केचिंग क्लब ने आज रविवार 28 फरवरी को बैलेसिंग रॉक (शिला संतुलन ) में लगभग दो घंटे रेखांकन कर अपनी गतिविधि प्रारंभ कर दी। आज की गतिविधि की महत्वपूर्ण बात यह रही कि बैलेसिंग रॉक की स्केचिंग में चित्रकारों के साथ अन्य विधा के लोगों जैसे लेखक, कवि, रंगकर्मियों, छायाकारों, इंजीनियर, स्कूली विद्यार्थियों और पर्यटकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

सुबह 9 बजे बैलेसिंग रॉक के आसपास मदनमहल की पहाड़ी बस्ती के लोगों को उस समय नया अनुभव हुआ जब कुछ लोग वहां पहुंचे। वहां पहुंचने वालों बैलेसिंग रॉक के इर्द-गिर्द साफ सफाई की और इस के बाद चित्र बनाने व रेखांकन करने में जुट गए। कलाकारों ने अपनी सुविधा व दृष्टि से आसन जमाया और शिला संतुलन को अलग अलग रूप से रेखांकित करने लगे।

पास की बस्ती के बच्चे भी उत्सुकता से उनके काम को देखने लगे। बच्चों ने पहली बार कलाकारों को रेखांकन करते हुए प्रत्यक्ष देखा। कुछ बच्चे बैलेसिंग रॉक के समक्ष खड़े या बैठ गए और उन्होंने मॉडल की भूमिका अदा कर दी। जब बच्चों का पोट्रेट बैलेसिंग रॉक के साथ बन कर तैयार हुआ तो वे उत्साह से भर गए। बच्चों में भी स्केचिंग के प्रति जाग्रति आयी।

वाराणसी व जौनपुर से आए टूरिस्टों को चित्रकारों ने बैलेसिंग रॉक के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। टूरिस्टों के लिए उस समय खुशी की कोई सीमा नहीं रही जब चित्रकारों ने उनके पोट्रेट तुरंत बना कर भेंट कर दिए। चित्रकारों ने कहा कि बैलेसिंग रॉक की स्केचिंग कर उन्हें नई अनुभूति हुई। अभी तक शिला संतुलन पहुंच कर कुछ ही क्षणों में वहां से निकल जाते थे लेकिन दो घंटे तक स्केचिंग कर ग्रेनाइट चट्टान के सौंदर्य को भीतर तक महसूस किया।

चित्रकारों ने जबलपुर की भौगोलिक संरचना विशेष कर पत्थर की सुंदरता को रेखांकित किया। स्केचिंग के अवधेश बाजपेयी ने कहा कि मार्च माह के सभी रविवार को चित्रकार बैलेसिंग रॉक में आ कर रेखांकन करेंगे। उन्होंने कहा कि बैलेसिंग रॉक कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। समापन अवसर पर प्रत्येक चित्रकार के रेखांकन को तात्कालिक रूप से एक नुमाइश के रूप में प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी के साक्षी बस्ती के पुरूष महिला बच्चे व वहां पहुंचने वाले टूरिस्ट बने।

आज स्केचिंग में मितांशी श्रीवास्तव, निकिता सोनी, आकांक्षा ठाकुर, तान्या बड़कुल, संतोष नामदेव, विवेक साहू, विवेक चतुर्वेदी, मनोज विश्वकर्मा, शुभम राज,आदित्य जैन, अनुराग ठाकुर, अनन्या अग्रवाल, योगेश डोंगरे, महेंद्र सोनी, पंकज पांडे, प्रशांत यादव, सतीश चडार, सुनील सूर्यवंशी आदि ने शिला संतुलन को नए ढंग से रेखांकित किया।