तुम याद घड़ी भर कर लेना- स्नेहलता नीर

पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना
आज़ादी के उन वीरों को, तुम याद घड़ी भर कर लेना

जिन वीरों ने आगे बढ़कर, रण में ताक़त दिखलायी थी
जिनकी हुंकारों से सारी, दुश्मन सेना थर्रायी थी
आज़ादी के मतवाले थे, माँ का सर झुकने नहीं दिया
जय भारत का नारा देकर, सीने पर गोली खायी थी
सत्ता की नींव हिला डाली, थी उनके दीवानेपन ने
उनको कर अर्पित भाव सुमन, चरणों में सर को धर लेना

पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना

घर से वो दूर वतन हित ही, तो भूखा प्यासा रहता था
गोली से तन छलनी होता, तब ख़ून जमीं पर बहता था
दो घूँट नहीं पानी पाया, होगा जब घायल वीर गिरा
जाबांज देश का फिर भी तो, जय भारत माँ की कहता था
हम सबकी ख़ुशियों की ख़ातिर, कितने दुख दर्द सहे होंगे
आज़ाद हिंद देकर बोले, इसको दिल से तुम वर लेना

पल दो पल उनकी यादों का,पानी आँखों में भर लेना

विरहन की सूनी सेज हुई, माँगों का भी सिंदूर गया
क्यों कभी न वापस आने को, वो साजन इतनी दूर गया
भाई की भी इक भुजा गयी, रोता है फूट-फूट कर वो
माँ बाप के दिल का टुकड़ा था, आँखों का भी तो नूर गया
सब रोते और बिलखते हैं, यादों में निशिदिन जलते हैं
उन सबकी पीड़ा भी तुम सब, थोड़ा-थोड़ा तो हर लेना

पल दो पल उनकी यादों का,पानी आँखों में भर लेना

कुर्बानी देकर हुए अमर, वो दिल में सबके रहते हैं
होली दीवाली राखी पर, हम अंगारों में दहते हैं
जंजीरें सभी ग़ुलामी की, वो काट गये आज़ादी दी
अब जश्न मनाओ तुम सब ही, सपनों में आकर कहते हैं
आज़ादी के तुम संरक्षक, ये बात न कभी भुलाना तुम
जो मार्ग दे दिया निष्कंटक, कर और इसे सुंदर लेना

पल दो पल उनकी यादों का,नपानी आँखों में भर लेना।

सींचा है चमन लहू से ये, बर्बाद कभी न हो पाये
गुलज़ार शजर दे दिया तुम्हें एक फूल कभी न मुरझाये
चंदा सूरज तारे बनकर, वो रोज़ निहारेंगे तुमको
सदकर्म सदा करना ऐसे, ये जग गौरव गाथा गाये
सोना-चांदी उगले धरती, आपस में भाईचारा हो
भारत माता की रक्षा में, तन-मन कर न्यौछावर देना

पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना

-स्नेहलता ‘नीर’