होंठों पर मुस्कान लिए- अनुराधा चौहान

ख्व़ाहिशों के झरोखों से
झाँकती उम्मीद भरी आँखें
वक़्त की धूप में मुरझाया चेहरा
फ़िर भी होंठों पर मुस्कान लिए

कर्मशील व्यक्तित्व के साथ
सबकी खुशियों में अपने सपने ख़ोजती
सहनशीलता की बनकर मूरत
ख़ुद की पहचान को भूलती जाती

रिश्तों की बनकर जन्मदात्री
उपेक्षा के अँधेरों को झेलती
प्रताड़ना सहती फ़िर भी हँसती
अपने वजूद को कायम रखती

जानती है खूब नहीं निर्भर किसी पर
अगर वो जिद्द अपनी ठान ले
हौसले की उडान भरकर
ख्वाहिशों को हाथों से थाम ले

फ़िर भी झुक जाती हमेशा वो
अपनों की खुशियों के बोझ तले
रो लेती मन ही मन होंठों पर मुस्कान लिए
रख देती ख्व़ाबों को कर्त्तव्य के बोझ तले

-अनुराधा चौहान