प्रवासी प्रजातियों पर संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौता के पक्षकारों का 13वां सम्‍मेलन गांधी नगर में 130 देशों के पर्यावरण विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं तथा जैव विविधता क्षेत्र के अग्रणी लोगों की मौजूदगी में प्रारंभ हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्‍यम से उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि सीएमएस सीओपी13 समृद्ध जैव विविधता और विश्‍व के विविधता वाले देशों में एक भारत के लिए खास महत्‍व रखता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में जैव विविधता के चार आकर्षण है-पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, भारत-म्‍यांमार क्षेत्र तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जो विश्‍व से आने वाले प्रवासी पक्षियों की 500 प्रजातियों का वास है।
सम्‍मेलन में सुपर इयर फॉर इन्‍वॉयरनमेंट प्रारंभ किया। इसके तहत सितम्‍बर में संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन होगा और 2020 के अंत में इसकी समाप्ति संयुक्‍त राष्‍ट्र जैव विविधता सम्‍मेलन के साथ होगी, जब अगले दशक के लिए नई वैश्विक जैव विविधता रणनीति-2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा-अपनाई जाएगी।
वहीं सम्मेलन में भारत ने जैव विविधता की समस्‍या से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर फोकस के साथ अगले तीन वर्षों के लिए सीओपी की अध्‍यक्षता संभाल ली है। अध्‍यक्षता ग्रहण करते हुए केन्‍द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सीएमएस भारत के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है और भारत में सीओपी से प्रवासी प्रजातियों तथा उनके निवासों पर फोकस प्रारंभ होगा।
पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि प्रवासी पक्षियों, स्‍तनपायी तथा जलजंतु प्रजातियां प्रवास मार्गों पर खतरे में है और उन्‍हें सुरक्षित रखने के लिए सभी देशों को एक साथ काम करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि भारत के लिए इन प्रजातियों की देखभाल हमारे लोकाचार में पृथ्‍वी पर सभी जन्‍तुओं और प्राकृतिक जीवन का संरक्षण करना शामिल है। भारत को सीएमएस सीओपी 13 की मेजबानी कर काफी प्रसन्‍नता हुई है।