Daily Archives: Sep 21, 2018
व्याकुल मेरा मन- जयश्री दोरा
मेरे अंदर की व्यक्तिसत्ता
विभाजित है अगणित खण्डों में
तमाम जटिलताओं का
एकीकृत रूप है एक- एक खंड
मौन के एकांत क्षणों में
टकराते हैं ये आपस में
इनसे उत्पन्न...
हाँ हम जी रहे हैं- रुचि शाही
अगर यही है जिन्दगी तो
हाँ हम जी रहे है।
कुछ दर्द अनकहे है
बाँट भी न पाएँ
रिश्तों के नाखून चुभ रहें हैं
हम काट भी न पाएँ
हर...