Wednesday, October 23, 2024

Daily Archives: Sep 21, 2018

व्याकुल मेरा मन- जयश्री दोरा

मेरे अंदर की व्यक्तिसत्ता विभाजित है अगणित खण्डों में तमाम जटिलताओं का एकीकृत रूप है एक- एक खंड मौन के एकांत क्षणों में टकराते हैं ये आपस में इनसे उत्पन्न...

हाँ हम जी रहे हैं- रुचि शाही

अगर यही है जिन्दगी तो हाँ हम जी रहे है। कुछ दर्द अनकहे है बाँट भी न पाएँ रिश्तों के नाखून चुभ रहें हैं हम काट भी न पाएँ हर...

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