Daily Archives: Dec 29, 2018
दोहे- स्नेहा सिंह
निर्धनता सब दूर हो,फूले फले किसान।
मेरा देश महान हो, दे दो प्रभु वरदान।।
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प्रेम सुधा का सब करें, दुनिया में रसपान।
बैर मिटे सब...
क्या यहीं पाना चाहा था- निधि चौहान
ये दुनिया अगर मिल भी,
जाये तो क्या है?
ये नाम-शोहरत भी मिल
जाये तो क्या है?
मिल जाएगी दुनियां की
अगर सारी नेमतें
लेकिन तेरा एक न मिलना,
लगाता है...
गुजरते सर्द लम्हों की- श्वेता सिन्हा
शाख़ से टूटने के पहले
एक पत्ता मचल रहा है।
उड़ता हुआ थका वक्त,
आज फिर से बदल रहा है
गुजरते सर्द लम्हों की
ख़ामोश शिकायत पर
दिन ने कुछ...