Yearly Archives: 2019
प्यार की बौछार ये होली- स्नेहलता नीर
रंगों के संग करती प्यार की बौछार ये होली
गिराती दरमियाँ ऊँची हुई दीवार ये होली
हुई गुलज़ार धरती राग छेड़े फागुनी कोयल
फिजाँ का साथ में...
गुलाल भेज रहे हैं- पुष्प प्रेम
दूर हैं तुमसे,हम दूरी का मलाल भेज रहे हैं
अबके हवाओं के हाथ ही गुलाल भेज रहे हैं
तेरे अहसासों में भीगे हैं सुबह भी शाम...
फागुन को भयो संग, बयारों में घुली भंग- शीतल वाजपेयी
फागुन को भयो संग
बयारों में घुली भंग
देख के मैं हुई दंग
पिया रंग डारो ना।
कजरा भी शरमाये,
गजरा भी घबराये
अचरा भी लरजाये
ऐसे तो निहारो ना।
तन को...
उस नये रंग में- सीमा सिंघल
माँ हर बार तुम
वही रंग ले आती हो
नीला और पीला
हरा और गुलाबी
इस बार कोई
रंग नया लाओ तो
मुझको रंगना है तुमको भी
उस रंग में...
हर बार...
आओ मिल सब रंगें- अभिलाषा चौहान
आया होली का पर्व लेके उमंग,
चहुंओर बिखरे खुशियों के रंग।
मन सबका झूमें बनके मलंग,
बाज रहे ढोल-ताशे,मृदंग।
आओ मिल सब रंगें एक ही रंग,
जीवन में घुल...
अवनि से अंबर तक बरसे रंग-अबीर- श्वेता सिन्हा
हृदय भरा उल्लास
हथेलियों में मल रंग लिये,
सुगंधहीन पलाश बिखरी
तन में मादक गंध लिये।
जला होलिका ईष्या-द्वेष की
राख मले मतवारे सारे
रंग-गुलाल भरी पिचकारी
निकले अपने संग लिये।
फगुआ...
हर पल लगे अबीर-सा- श्वेता सिन्हा
पी छवि नयन में आते ही
मुखड़ा हुआ अबीर-सा
फूटे हरसिंगार बदन पे
चुटकी केसर क्षीर-सा
पहन रंगीली चुनर रसीली
वन पलाश के इतराये
झर-झर झरते रंग ऋतु के
फगुनाहट मति...
फागुन ले आया खुशियों के रंग- अनुराधा चौहान
फागुन ले आया खुशियों के रंग
झूमे प्रकृति हवाओं के संग
फूल मुस्कुराते भँवरों के संग
उमंग भरी चली बसंती हवाएं
रक्तिम फूले उठे हैं पलाश
फाग के गीतों...
आई रे होली आई, आई रे होली- अनुराधा चौहान
आई रे होली आई,आई रे होली
होली के रंग में रंगे हैं
भंग से चूर हूए हैं
नाचे सब मिलजुल सारे
मस्ती में झूम उठे हैं
रंगों में होकर...
फूलों से तेरे लिए मैं रंग बनाऊँ- कुमारी अर्चना
पलाश के फूलों से केसरिया रंग बनाऊँ
अपने हाथों से तेरे रूप सवाँरू
गुलाब के फूलों से मैं इत्र बनाऊँ
तुझे लगा कर सुगंधित कर दूँ
चमेली के...
कब होगी राधा की होली- कुमारी अर्चना
सारा जग में हारूँ जो खेले तू
मेरे मेरे संग कान्हा होली
लगाऊँ फाग में लाल गुलाल
तू रंग दे मोहे सच्ची प्रीत में!
राधा तेरी थी तेरी...
वो बचपन की होली- कुमारी अर्चना
कोई तो लौटा दो
मेरे बचपन की वो होली
रंगों में डूबी
पानी में भींगी
कीचड़ में सनी
गोबर से खेली
पिचकारी से उड़ी
गुलाल से रंगी
फागुन मौसम में सजी
गीत में...