Monthly Archives: February, 2020
बादल- नवरंग भारती
आई सावन की परी झूम के आये बादल
दिल के मारों में मची धूम के हाय बादल
उसके चेहरे पे निगाहों का ठहरना मुश्किल
उसकी ज़ुल्फों की...
कोशी का उदास किनारा- राजीव कुमार झा
कोशी का उदास रेत भरा किनारा
गुजरता दूर कोई
ग्रीष्म में
यहाँ सूरज भी रहा हारा
धान-गेहूँ, मूँग के खेत
आम, अमरूद, कटहल के पेड़ पर चढ़ी
फूलों से सजी...
अब एक एप में मिलेगी रेल कर्मचारियों की समस्त जानकारी
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने आज नई दिल्ली में एचआरएमएस मोबाइल एप्प लांच किया, जिसे सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस)...
मुफ्त मिलेगी रेलवे प्लेटफार्म टिकट, बस करना होगा ये
रेलयात्रियों को छोड़ने स्टेशन जाने वाले परिचितों को प्लेटफार्म टिकट लेना पड़ता है। रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट 10 रुपये में मिलता है लेकिन अब आप...
हम तो- खुश्बू ठाकुर
जो छाया है, वही छपेंगे
हम तो अपने ही गम के साये हैं
जो खाया है, वही खायेंगे
हम तो सच्चाई का पाठ पढ़ आये हैं।
जहाँ शोर...
मुझे शिवानी कर दो- सीमा कपूर चोपड़ा
तू ही विष है,
तू ही सुधा,
मुझे भी अमृतमयी कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही सृजन है,
तू ही शमन,
मुझे भी अमर कर दो,
मुझे शिवानी कर...
प्रवृत्ति- डॉ उषाकिरण सोनी
सुख
समय के आंधी में
रेत पर लिखी
इबारत सा उड़ जाता है।
दुःख
उत्कीर्ण हो
मन की शिला पर
गहरे तक पैठ जाता है।
ज्ञात है
न शिला न रेत
न हर्ष न...
औरतें- रसोई में, खेत में- डॉ मीरा श्रीवास्तव
औरतें रसोई में बिता देती हैं
जिंदगी, रोटियां बेलते, सेंकते
घर का कोई पुरुष झांकता तक नहीं
वर्जित क्षेत्र है रसोई पुरुषों के लिए
कुछ वर्जनाएं बड़ी ईमानदारी...
आओ सुबह बनकर- अंजना वर्मा
मन साँझ-सा बोझिल है,
तुम बनके सुबह आओ
गहराता जाता है
हर पल ये अंधेरा
तनहाई के नागों ने
इस जान को है घेरा
तुम चाँद बनो आओ,
थोड़ी चाँदनी दे...
इतना होने के बाद भी- शेफालिका कुमार
तुमने कितना कैद करना चाहा हमें
कि हर जगह लगा दिये सांकल
तुम करना चाहते थे
तितली को डब्बे मे बंद
तितली चाहिए थी तुम्हें
पर उसे उसका बगीचा
नहीं...
तुम कोई सुंदर कविता हो- राजीव कुमार झा
तुम कोई सुंदर कविता हो
जीवन में सपनों को उकेरती
शब्दों में सारे मन के भाव पिरोये
किस हलचल में थमकर
मन की आहट को किसने देखा
बारिश में...
ग़म का दरिया हूँ- रकमिश सुल्तानपुरी
ग़म का दरिया हूँ कोई साहिल नहीं हूँ मैं
ऐ दोस्त! तेरे ख़्वाब की मंज़िल नहीं हूँ मैं
दर्द न ले दोस्त मुझसे रख ज़रा दूरी
खण्डहर...