Monthly Archives: February, 2020
लो सखी ऋतुराज आया- डॉ उमेश कुमार राठी
स्वर्ग धरती को बनाने सुरमयी सुरसाज आया
लो सखी ऋतुराज आया
गूँथ ली वैणी सुमन से चल गयी शीतल पवन
हो रहा मौसम सुहाना दूर है दिल...
निश्छल मन की प्रीति साँवरे- स्नेहलता नीर
छूकर मेरा तन-मन मोहन, मुझे मलय कर दो
दो सद्बुद्धि विवेक दयानिधि, भाग्य उदय कर दो
अनजानी सी डोर अनन्ता, बाँधे है तुमसे
यही तुम्हारा ठौर-ठिकाना कहती...
एक चेहरा गुलाब के जैसा- नवरंग भारती
नर्म-ओ-नाजुक शबनमी रुख़सार
एक चेहरा गुलाब के जैसा,
झील में हो कंवल खिला जैसे
जैसे दिलकश बाहर की रंगत,
जिससे चैनो-क़रार मिलता है,
जिससे अरमाँ के फूल खिलते हैं
जिससे...
विसर्जन की पात्र- पूनम शर्मा
मैंने देखी है तुम्हारी नज़रें
मुझमें विश्वास ढूंढने लगी हैं
भगवान बनाने लगी हैं एक मूरत को
जानते हो
मूर्तिकार, मूर्ति बनाता है
सुंदर अतिसुन्दर,
पर पुजारी ही
पत्थर की उस...
भगवान शिव की आराधना का दिन महाशिवरात्रि कल, बन रहा है विशेष योग
शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी और आज भगवान शिव के पूजन और आराधना का विशेष दिन है। कहा जाता है कि भोलेनाथ शिव...
रेल-मदद को मिला राष्ट्रीय ई-शासन पुरस्कारों के द्वितीय वर्ग में रजत पुरस्कार
भारतीय रेल के शिकायत निवारण पोर्टल रेल-मदद को नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय ई-शासन पुरस्कारों के द्वितीय वर्ग में...
सोन चिरैया- डॉ कुसुम चौधरी
बाबुल मैं हूँ सोन चिरैया
तेरे आँगन की गौरैया
कभी नहीं मैं रुकने वाली
नील गगन में उड़ने वाली
अग्नि परीक्षा देती रहती
तूफ़ानों से लड़ने वाली
छोटे से घर...
कोरे पन्नों पर- सीमा चोपड़ा
कोरे पन्नों पर
बिखरी है मेरी दुनिया
तेरे लफ़्ज़ों में
बसी है मेरी दुनिया
खोयी खोयी सी
कुछ उलझी सी
तुम्हीं सुलझा दो ना
तेरी ही बातें तेरे ही चर्चे
बिखरे पड़े...
शाम का सूरज- राजीव कुमार झा
यह शाम का सूरज
कितना दूर जाता
तालाब के पानी में झाँकता
पेड़ के पीछे अँधेरा घिर गया
नदी का घाट गुमसुम हो उठा
पानी की धार बहती जा...
सोलह श्रृंगार- आनंद सिंह चौहान
यौवन पर रूप श्रृंगार की छटाएं यूँ बिखर रही हैं
मानो सूरज की प्रथम किरण अंधियारे में उतर रही है,
चमकती बिंदी उन्नत भाल का चुंबन...
चलो यहाँ से दूर चले हम- रकमिश सुल्तानपुरी
चलो यहाँ से दूर चले हम ढूंढे स्वर्ग सुरक्षित
यह तो मानव लोक नहीं है, यह है नरक अपरिचित
पाल रहें है सम्बन्धों में कटुता की...
मैं हूँ कौन- मनोज कुमार
मैं हूँ कौन बताये मुझे,
कौन सा घर मेरा बताये मुझे,
मैं सदियों की सताई हूँ कोई तो अपनाये मुझे,
मैं बेकार पत्थर नहीं जो बिखर जाऊं,
मैं...