Tuesday, October 22, 2024

Daily Archives: Mar 4, 2020

मंत्रिमंडल ने दी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के 4 बैंकों में विलय के व्‍यापक एकीकरण को मंजूरी...

राष्ट्रपति ने 15 कलाकारों को प्रदान किये ललित कला अकादमी पुरस्‍कार

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 15 श्रेष्‍ठ कलाकारों को 61वें वार्षिक ललित कला अकादमी पुरस्‍कार प्रदान...

डुअल सेल्फी कैमरे के साथ भारत में लांच हुआ ओप्पो का नया स्मार्टफोन रेनो 3 प्रो

ओप्पो ने अपना नया स्मार्ट ओप्पो रेनो 3 प्रो भारत में लांच कर दिया है। भारत में इसके 8 जीबी रैम एवं 128 जीबी...

हिंदी हमारी सोच हमारी संस्कृति की संवाहक है- डॉ मीरा रामनिवास वर्मा

डॉ मीरा रामनिवास वर्मा भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी रही हैं और इन्होंने साहित्य लेखन किया है। इसमें कविता, कहानी के अलावा यात्रा...

कोई पुराना गीत- राजीव कुमार

सुबह का सुंदर समय तुमने कहाँ देखा रोज सूरज झाँकता मन में तभी तुम पास आती कोई पुराना गीत गाती आज नदी दूर से बहती चली आयी किस...

कुछ दोहे- प्रतापनारायण मिश्र

बड़ा कौर खालो मगर, बड़ा न बोलो बोल होते अपने आप में, बोल बड़े अनमोल बहुत जटिल है स्वयं में, जीवन का भूगोल जान रहे इसको सभी,...

चोरी कर के चाँद की- डॉ रंजना वर्मा

चोरी कर के चाँद की, गयी अमावस रात अम्बर से होने लगी, आँसू की बरसात धरती पर इंसान ने, जब भी पाया जन्म, विधना से पायी सदा,...

सुबह- श्रीधर प्रसाद द्विवेदी

फागुन मास लगा जब से तबसे कुछ और बयार बही है। दक्षिण से मलयानिल आकर कान सनेहिल प्यार कही है। आश जगी अनुराग जगा रमणी निज राग सम्हार रही...

दंगाई- संजय कुंदन

दंगाइयों में थे वे भी शामिल जिनकी अभी ठीक से मूंछें भी नहीं आईं थीं चौदह से सोलह साल के वे नौजवान जिन्हें कक्षाओं में होना था पुस्तकालयों...

एक पेड़ की हत्या- विनीता राहुरीकर

ध्वस्त हो जाता है एक घौंसला तिनका-तिनका बना था तिनकों में ही बिखर जाता है उसके साथ ही बिखर जाती है कुछ नन्हे प्राणों की आस टूट जाते हैं ममत्व से...

आँखों से वही- आशीष दशोत्तर

बनकर चराग तम को मिटाने में लगा है हर सम्त नई रोशनी लाने में लगा है उसने ही हमें थपकियां दे-दे के सुलाया आँखों से वही नींद...

फागुन जो आ गया है- पूनम शर्मा

पीली पीली सरसों लहराने लगी है हवाओं के स्पर्श से शरमाने लगी है, उसपर भी, फागुन का खुमार छाने लगा है अब वो कानाफूसी कर बतियाने लगी है, फागुन...

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