Daily Archives: Mar 4, 2020
ढलती शाम के पहले- रकमिश सुल्तानपुरी
हुई है आज फ़िर उलझन दवा तो कर
ज़रा उनको मुहब्बत हैनपता तो कर
क़रीब हो इतना तो गुरेज़ कैसा अब
कि ढलती शाम के पहले मिला...
किसी की मुहब्बत- पुष्पेंद्र सिंह
पता है तुम्हें उसने क्या कर दिया है
किसी को किसी से जुदा कर दिया है
जो नज़रें मिलाने के क़ाबिल नहीं था
उसे मेरे दिल में...
अलमस्त चमन का माली हूँ- राम सेवक वर्मा
जब से होश संभाला मैंने,
कभी न बैठा खाली हूँ
पतझड़ में भी पुष्प उगाता,
अलमस्त चमन का माली हूँ
दर्द समझता उनका भी मैं,
जो फूलों पर सोते...