Monthly Archives: March, 2020
मेरी उलझनों- डॉ ऋतु त्यागी
मेरी उलझनों
रुई के गोले सी हो जाओ
कोई हवा आए
जो तुम्हें उड़ा कर दूर ले जाए
या तुम मेरी आँखों की नींद बन जाओ
कोई रात आए
जो...
मैं तुम्हें देख कर- सुमन ढींगरा दुग्गल
ख़ुद में ही डूबती उभरती हूँ
जाने किस को तलाश करती हूँ
दिल में जीने की आरज़ू ले कर
मैं कई बार रोज़ मरती हूँ
भर न जाए...
वो मेरे साथ- अलका जैन
वो मेरे साथ जब से चल रहा है
सफ़र महका हुआ पल-पल रहा है
हर इक शै पूछती है तुम कहाँ हो,
मैं तन्हा हूँ ये सबको...
गज़लों पे मेरी आप- आशीष दशोत्तर
हालात बड़े सख्त हैं और वक्त कड़ा है
हर कोई यहां देखिए बस ज़िद पे अड़ा है
मंज़िल पे भला कौन इसे याद रखेगा
सदियों से यहीं...
कोई जुगनू- डॉ भावना
मुझे टुकड़ों में जब भी बांटता है
कई वादे भी उसमें टांकता है
तुम्हारी मन की सीढ़ी क्या चढूं मैं
मेरा किरदार मुझको डांटता है
करेगा अपनी मन...
गुलाबी-गुलाबी सुबह- शशांक रावत शिखर
गुलाबी-गुलाबी सुबह हो गयी है
निशा सो गई है, सुबह हो गयी है
जगो तुम, मुझे अपने दिल से लगाओ
जख्मो पे मेरे मरहम लगाओ
तुम बिन अधूरा...
तेरा सपना- मनोज कुमार
आँखों ने भी धोखा दे दिया
तेरा सपना देखने से मना कर दिया
साँसे भी रुख्सत सी हो चली
दिल के साथ धड़कने से मना कर दिया
रूह...
छुपा है चाँद क्यों- रोहताश वर्मा
झरोखे पर अब वो चाँद आता नहीं
न जाने क्यों अब वो मुस्काता नहीं
छुपा के ग़म झूठलाता है सब को,
हकीकत क्या कुछ भी गाता नहीं
खुले...
ज़िन्दगी की रीत- संजय जैन
जहाँ में कौन है भला जो दर्द से भरा नहीं
जिया वही है शान से किसी से जो डरा नहीं
बुलंद हौंसला है गर कभी न...
प्यार के नग़मे- रकमिश सुल्तानपुरी
प्यार के नग़मे सजाना चाहिए
आदमी को मुस्कुराना चाहिए
मंजिलें सबको मिलें असफ़ार में
हौसला सबका बढ़ाना चाहिए
हो बहुत दुश्वारियां फिर भी हमें
दाँव अपने आजमाना चाहिए
मत नजरअंदाज...
अब बेहद खुश हो- राजीव कुमार
होली में रंग बरसे गुलाल
मिट्टी की सुरभि से
खूब भरा मन
अब धूप में डूबा
मन का ताल
सूरज ने आज समेटा
बची ठंड का जाल
नयी साड़ी में तुम
घर...
चलो मिलकर होली मनाते है- संतोष कुमार वर्मा
चलो पुरानी रंजीसे भूल जाते हैं
धुन प्यार का गुनगुनाते हैं
और कोई न बच पाए इस होली में
चलो मिलकर होली मानते हैं ।
जात धर्म मजहब...