Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: March, 2020

तुम्हारी यादें- वर्षा श्रीवास्तव

एक-एक लम्हें को समेट कर एक उम्र बन जायेगी, तुम रहो ना रहो मेरी ज़िंदगी में शामिल तुम्हारी यादें तो आयेंगी बहुत कुछ अनकहा रह गया बहुत कुछ रह...

अभी भी दुनिया में- जसवीर त्यागी

अभी भी फूलों से आती है सुगन्ध अभी भी संगीत पर थिरकते हैं पांव अपने नवजात शिशुओं को घोसलों में अकेला छोड़ अभी भी चिड़िया निकलती हैं चुगने दाना परदेस गये लोगों...

कोरोना का कहर सताता- अनामिका वैश्य आईना

देखो कोई आता न जाता कोराना का कहर सताता यूँ शहरों में पसरा सन्नाटा भूल से भी भूला न जाता न मिलो किसी से न हाथ मिलाओ दूर-दूर रहकर...

आशा- रूपा रानी

मिली मुझे एक भोली सी आशा जिसका स्वभाव बड़ा सीधा सा हर वक्त होठों पर चुप्पी साधे अपने ही ख़यालों के पीछे भागे हर पल ग़म सहती जाती पर...

आशीर्वाद- शिवम मिश्रा

गंगा के घाट पर बैठे आंजिक्य ने जब पैर पानी में डाला तो लगा जैसे हजार बिच्छुओं ने एक साथ डंक मार दिया हो।...

चाँद- शैली अग्रवाल

रात का समां और आकाश बना काला शामियाना, उस पर झिलमिल करते तारे ठंडी-ठंडी लहराती हवाएं और सर-सर-सर गीत गाते पेड़ सारे मानो आज तो चाँद बारात लेके निकला है, अपनी चांदनी...

सच्चाई का रास्ता दुश्वार होता है,पर संतुष्टि देता है- सुनील माहेश्वरी

सच्चाई का रास्ता माना दुश्वारियों, मुश्किलों और कठिनाइयों से होकर गुजरता है, पर उसके साथ चलकर जो सफलता और मुकाम हासिल होता है, वह...

वायरस- वीरेन्द्र तोमर

कैसा ये वीरान चमन, सुनी गालियां, सुनी राहें, सुनी राहें, सुनें उपवन सुनी हो गयी वसुंधरा, कोलाहल सब गायब क्यूँ, थम सा गया मानव जीवन जीव-जन्तु हैं विस्मय में, मठ, मंदिर...

चैत्र नवरात्रि षष्टी- मनवांच्छित फल प्रदान करती हैं माँ कात्यायनी

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ नवरात्र के छटवें दिन माँ कात्यायनी की आराधना-उपासना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत...

यादों का मौसम- शिवम मिश्रा

तुम्हारे यादों का मौसम हैं दिल का पंछी पंख मारता रहता है तड़पता है लेकिन, चाह कर भी उड़ नहीं पाता लगता है किसी ने पंखों को, मजबूत रस्सी...

माँ भारती के 17 सपूत- जयलाल कलेत

फिर माँ भारती के 17 सपूत, आँखों से ओझिल हो गए भारत माता के पावन आंचल पर, श्रृद्धा से शहिद हो गए दिलों में स्नेह के माला पिरोकर, चिर...

चली बयार प्यार की- डॉ उमेश कुमार राठी

चली बयार प्यार की मीठी आँसू छलक गये पड़ी फुहार रंग की तन पर मन से बहक गये गले लगाया जब तितली ने उड़ते आली को लगी...

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