Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: March, 2020

आता है नहीं मधुमास अब- अंजना वर्मा

कौन कहता है कि आता है नहीं मधुमास अब? गाँव में फैली है खुशबू, महकती है साँस अब। शीत की चादर हटाकर, पेड़ अब तो जग...

मासूमियत उनकी- मनोज कुमार

मासूमियत उनकी जरा सी देखिये, बिना बोले ही दिल में घर कर लिया मुलाकात तो हुई न एक बार कभी, फिर भी हमने उनको हमसफ़र कर लिया जान...

आजमाना कैसा- रकमिश सुल्तानपुरी

हाल-ए-दिल तू ज़रा सुन अब छुपाना कैसा ये मुहब्बत है, मुहब्बत में आज़माना कैसा टूट कर सीखा है ज़माने से दिल लगाना मैंने हारकर सीखा है ख़ुद...

सागर बोला सरिता से- वीरेन्द्र तोमर

सागर बोला सरिता से तू कचरा ढ़ो-ढ़ो लाती है हड्डी, लकड़ी और सड़े मांस की बदबू जिसमे आती है गंदा पानी निर्मल करने का क्या ठेका मैंने ले रखा तू...

बरस रहो रंग- राम सेवक वर्मा

उडत गुलाल बरस रहो रंग। खेलैं होली सखा सब संग।। बना के टोली करैं ठिठोली, मारैं पिचकारी भर-भर रंग। ढोल मंजीरा पै ताल लगावैं, खावैं फोड़-फोड़ के भंग। ठुमक-ठुमक के...

खिल पलाश बसंत बहके- चंद्र विजय प्रसाद चंदन

रँग गए आज गुलाल, मिट गए मन के मलाल पर देखा न मैंने कोई, आई हो यौवन सम्हाल झाँक रहा स्मृतियों से, है दृश्य अद्भुत कमाल सरर-सरर...

फरवरी में हुआ 1,05,366 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व संग्रह

फरवरी 2020 में कुल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,05,366 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से सीजीएसटी 20,569 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 27,348 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 48,503 करोड़...

ज़िन्दगी- रुपाली दळवी

ज़िन्दगी तेरे तोहफे भी अजीब हैं जितनी तू उलझी हुई पहेली हैं उतनी ही तू खूबसूरत सी सहेली हैं दुख के दामन छोड़कर भागने भी नहीं देती सुख...

सफर- राधेश्याम तिवारी

आपके वातानुकूलित रिजर्वेशन बोगी के ठीक पीछे एक साधारण बोगी का यात्री हूँ मैं मेरे लिए लेटने या बैठने का नहीं है कोई निश्चित स्थान मेरी पहचान रिजर्वेशन चार्ट में कहीं नहीं...

ये दुनिया है- अनुश्री दुबे

अब ज़ख्मों की दवा कहां से लाऊं। सच बोले वो ज़ुबां कहां से लाऊं। बुराई का जहर घुल गया फिजा में; अच्छाई का धुंआ कहां से लाऊं। ये...

मौसम की चेतावनी- लीलाधर मंडलोई

कश्मीर में 370 की अप्रत्याशित बारिश के साथ बदल गया है आस-पास के इलाकों का मौसम असहिष्णु पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर पूर्व सहित घेर लिया है पठारों...

मुहब्बत की राह में- आशीष दशोत्तर

चल तो रही है साथ में परछाइयां तेरी लेकिन कभी न छू सकी ऊंचाइयां तेरी सह तो रहा है हर कोई मनमानियां तेरी तुझ पर ही ज़ुल्म...

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