Monthly Archives: March, 2020
आँख का काजल- शशि पुरवार
दफ्तरों से बन गए है
जिंदगी के पल
शाम से मिलते थके दिन
रात का आँचल
अब समय के साथ चलते
दौड़ते साये
चाँद-तारों सी तमन्ना
हाथ में लाये
नींद आँखों में...
कवि ‘उखाड़-पछाड़’ जी का सपना- राजकुमार धर द्विवेदी
सुबह गरमागरम चाय सुड़कते हुए कवि 'उखाड़-पछाड़' जी ने धर्मपत्नी से कहा, 'मनोरमा, मैंने बीती रात अजीब सपना देखा।'
'आप तो जब देखो तब सपना...
प्रकृति- रूपा रानी
प्रकृति की हरियाली देख मेरा मन हर्षाया
याद आई बचपन के पीपल की शीतल छाया
निकट जा स्पर्श करने को मेरा दिल हो आया
अरे! ये क्या?...
क्यूँ हर बार- भावना सक्सेना
सुनो!
हर खाँचे में
सही बैठने को
छील देती हो
क्यूँ हर बार
ज़रा सा मन
कब समझोगी!
आदर्श
आखिर कुछ भी नहीं होते
हर बार
हर किसी ने
गढ़ा है उन्हें
अपने लफ़्ज़ों में
अपनी सहूलियत...
जीतने के लिए- अमित कुमार मल्ल
लड़ो
लड़ो
लड़कर जीतने के लिए
जीत
न हो
लड़ो
जमकर लड़ने के लिए
साँस न दे
साथ अंत तक
लड़ो
लड़ने की शुरुआत के लिए
प्रारंभ न
हो तो भी
लड़ो
लड़ाई के विश्वास के लिए
विश्वास
बन जाये
पिघलती...
वे आसमान के सितारे हैं- जसवीर त्यागी
सरकार को, हर नेता को
अपने-अपने क्षेत्र के
भूखे, बेघर, गरीब लोगों के लिए
रहने-जीने की व्यवस्था करनी चाहिए
निर्धन, बेघर, बेरोजगार मजदूर
सिर्फ़ वोट बैंक नहीं है
वे भी...
हाँ मैं नारी हूँ- डॉ सुनीता मिश्रा
कौन हूँ मैं? मेरी पहचान क्या है?
अनगिनत बार इन प्रश्नों ने मुझे चौंकाया
आज पहली बार उत्तर दे मैंने इसे छकाया
हाँ मैं नारी हूँ...आज की...
चैत्र नवरात्रि पंचमी- इच्छायें पूर्ण करती है स्कंदमाता
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को माँ स्कंदमाता की आराधना-उपासना की जाती है। मोक्ष के...
घर-घर में जैसे- डॉ भावना
जाने कहाँ से पूतना बस्ती में आई है
घर-घर में जैसे मौत ने साँकल बजाई है
चमकी बुखार कहते हैं जिसको यहाँ के लोग
वो तो गरीब...
देख चाँद- किरण सिंह
देखो चाँद दशा मेरी
कुछ तुम भी दो दीक्षा
कितना लोगे तुम मेरे
धैर्य की परीक्षा
मैं तो ठूंठ पेड़ हूँ
कोई आता नहीं यहाँ
खग नीड़ ले उड़े
जाने कहाँ...
जीवन का कल्याण- डॉ उमेश कुमार राठी
स्वेद बिना श्रमदान नहीं है
जीवन का कल्याण नहीं है
वाण रखे तरकश में लेकिन
लक्ष्य बिना संधान नहीं है
रेत पसरती जब तलहट में
मीन सिसकती नदिया घट...
इश्क़ वालों- रकमिश सुल्तानपुरी
दर्द, ग़म, तन्हा जुदाई के अलावा रास्ता क्या
इश्क़ वालों! ये बताओ आज़कल सबको हुआ क्या
एकतरफ़ा दर्द हो तो कामगर मजदूर सह ले
मर्ज़ हो या...