Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: March, 2020

आज रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 19 मार्च को रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे, इस दौरान वह कोविड-19 से संबंधित मुद्दों और इससे...

तेरे मुताबिक- जयलाल कलेत

तेरे मुताबिक सब कुछ होता, तो तू आज कभी न गद्दार होता, ऊंगली पकड़कर न चलना सिखाता, तो आज तेरा कोई न उद्धार होता उसूलों से कर लिए...

दूर की दोस्ती- अनामिका वैश्य आईना

दूर की दोस्ती हम निभाते रहे दोस्तों को चाय पर बुलाते रहे दिल की बस्ती बागबां हो गयी ख़ुशी की महफ़िलेंं सजाते रहे प्यार से जो भी मिला...

उठा लेखनी- शैली अग्रवाल

उठा लेखनी आज फिर कुछ लिख रही हूँ लिखते-लिखते मैं तुम्हें जी रही हूँ तुम याद क्यों इतना आते हो, खुद सवाल कर खुद जवाब दे रही हूँ मेरे दिल...

और की तलाश- रजनी शाह

कभी लक्ष्य है और कभी मंजिल है कभी मझधार है और कभी साहिल है कभी बचपन है बचपन के खेल है’ मारपीट है दौड़–भाग, हार और जीत है कभी जवानी है जवानी की...

प्रेम मरता नहीं- शाम्भवी मिश्रा

शिवा जब मरने की बात करती शिव को अच्छा नही लगता था, मन होता उसके बोलते हुए अधरों पर हाथ रख दे ताकि शब्द...

6000 एमएएच बैटरी के साथ भारत मे लांच हुआ सैमसंग का नया किफायती स्मार्टफोन

सैमसंग ने भारत में 6000 एमएएच बैटरी वाला किफायती स्मार्टफोन गैलेक्सी एम21 आज लांच कर दिया है। भारत में इसे मिडनाइट ब्लू और रेवन...

आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया सेनेटाइजर

कोरोना वायरस के खिलाफ जारी मुहिम के बीच बाजार में बेची जा रही कई नकली सामग्रियों को बेचा जा रहा है, वहीं सेनिटाइजर जैसे...

ख्वाहिश- शिवम मिश्रा

मैनें कभी कुछ नहीं माँगा तुमसे लेकिन एक ख्वाहिश हमेशा से रही है एक तमन्ना, जब मेरा आखरी वक्त हो कुछ पल के लिये ही सही तुम मेरे...

आवाज़ के रहने तक- अमित कुमार मल्ल

खटखटाउँ किस चौखट पर आवाज़ दूँ किस चौराहे पर इस शहर की हवा बहरी है चीखती, कांपती, गूँजती आवाज़े सहमाती है मेरे आइने को किसको पुकारूँ, इस शहर के आइने मे, अक्श...

कालजयी मूर्ति- जसवीर त्यागी

एक दिन हत्यारा निपट अकेला रह जायेगा उसके अनंत हाथ टूट जायेंगे चरमराकर खत्म हो चुकी होगी बदले की भावना हताश-निराश ह्रदय में पश्चाताप आँखों में होंगे आँसू वह आयेगा कलाकार के पास रोना...

समय और प्रतीक्षा- किरण सिंह

गज़ब प्रेम है न समय और प्रतीक्षा की भी समय निष्ठुर मगरूर या फिर आदत से मजबूर चलने को रहता है विवश और भावुक जिद्दी प्रतीक्षा अपनी ही आदत से मजबूर दिन रैन अनवरत ठहरी हुई सी पलक बिछाए रहती...

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