Daily Archives: Apr 29, 2020
मेरी ग़ज़लों से- आलोक कौशिक
मानव ही मानवता को शर्मसार करता है
सांप डसने से क्या कभी इंकार करता है
उसको भी सज़ा दो गुनहगार तो वह भी है
जो ज़ुबां और...
आंसू मुस्कुराते हैं- पुष्पेन्द्र सिंह
नदी पानी नहीं देती किनारे भी सताते हैं
हंसी ख़ामोश रहती है तो आंसू मुस्कुराते हैं
हमें क्यों धौंस देता है अरे जुगनू चला जा तू
उजाले...
आभासी दुनिया- निधि भार्गव
आभासी दुनिया पसंद
है न तुम्हें?
जो एक ही झटके में
आसमान से जमीन पर
लाकर पटक देती है
झूठ की बुनियाद पे टिकी
इमारत लाख बुलंद हो..
जब गिरती है...
तस्वीर तेरी दिल में- शिवम मिश्रा
तस्वीर तेरी दिल में बसा रखा है
तुझे कई सदियों से अपना बना रखा है
इल्ज़ाम हम पर भी ये आया कई बार,
तूने मुझे अपने प्यार...
जिदंगी के कोने- ममता रथ
काश जिदंगी के चार कोने होते
तो चारों को पकड़कर
मैं एक गठरी बना लेती, पर
ज़िन्दगी के तो असंख्य कोने हैं
कोई ना कोई हाथ से छूट...
मेरी सांसो के पथ- अनामिका वैश्य
मेरी साँसों के पथ से गुज़रकर तुम
नया एक घर बना लेना
कभी मेरे दिल में बस जाना
कभी मुझको बसा लेना
इज़ाज़त मांगकर मेरी सुनो
कभी मुझे शर्मिंदा...
ज़िंदगी के पन्ने- डॉ विभाषा मिश्र
ज़िंदगी के कुछ पन्ने
अनछुए ही रह गए
सोचा था फिर से
ज़िंदगी की एक क़िताब
रची जाएगी
जिसके हर पन्नों में सिर्फ़
मेरे ही मन की बातों को
शामिल किया...
वादा- दीपमाला पाण्डेय
आज इस वादों की बात में
मुझे याद आ रही है शायद
तुने भी किया था मुझसे वादा
मेरा हाथ थामने का वादा
मेरा साथ न छोडने का...
सामर्थ्य हो तुम- डॉ सुनील कुमार शर्मा
सृजन-सामर्थ्य हो तुम
स्वप्निल इच्छाओं के
पंख बन कल्पनाएँ मेरी
उड़ा ले चले तुम
लूंगा थाह समय
की आवाजाही की
तुम्हारी धड़कनों की गति से
फैल जाउँगा रोशनी की तरह
धरा तक...
रक्तबीज कोरोना- श्रीमती बेनू सतीश कांत
कुछ तो हमने भी प्रकृति पर कहर ढाया है
तभी तो बीच हमारे ये रक्तबीज कोरोना आया है
भूल चुके थे खुदा को, लूटपूट थी हर...
युग के परिवर्तन में- रामजी त्रिपाठी
अब भी युग के परिवर्तन में थोड़ी-सी देर है
युग कभी बदलता नहीं, बदलती युग की परिभाषा,
संघर्षों में सदा पनपती नव-युग की आशा,
जन-मन के युग...
समस्या भारी, एक महामारी- ईशिका गोयल
लॉकडाउन कहे
बच के चलो भाई, बच के चलो ना
सोशल डिसटेंसिंग का भी थोड़ा तो पालन करो ना
दिलों में संयम- हिम्मत ज़रूर संजोना
देश के साथ...