Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: April, 2020

दर्द को हँसकर छिपाते रहे- तारांश

आफ़तों में भी उत्सव के गीत हम गाते रहे हर सितम के दर्द को हँसकर छिपाते रहे चलने को मजबूर पैदल आज हज़ारों मील वो कामगार जो...

नारी के विविध रूप- अमरेन्द्र कुमार

नारी तेरे विविध रूपों से जग का होता रहा कल्याण है तू विधाता की अनमोल देन है जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ, अगर तू ना होती, तो संसार में...

इश्क का मारा- सत्यम भारती

स्वप्न अवनी से निकल अब जाग तू, मेहनत की चिंगारी से लगा आग तू नफरतें-मर्सिया पपीहा गाता इधर, बुलबुल सुना अमन का राग तू जीत का मजा संघर्षों...

कई सवाल मन में- पंकज चौहान

कई सवाल मन में सहमे-सहमे से रहते हैं, हर तरफ की खामोशी कुछ न कहने को कहती हैं क्या हजारों सोचते हैं यहीं? या दफ़न हैं सवाल उनके भी इस...

ऐ मेरे हमसफ़र- रकमिश सुल्तानपुरी

ऐ मेरे हमसफ़र आपको क्या ख़बर आप थे जिंदगी आप हैं रहगुज़र याद आता मुझे वो सुहाना सफ़र कैसे जाएं भला आपको छोड़कर अब निभाएंगे ख़ूब यारगी उम्र भर हम करें आपकी आप मेरी फ़िकर टूटते...

फूलों की भाषा- डॉ उमेश कुमार राठी

अंगार हमारी नियति बने फूलों की भाषा क्या जानें गलियारों ने पाला पोषा महलों की भाषा क्या जानें तन स्वेद बहाया रात दिवस अभिसिंचन करने मधुवन का पोषित करने संस्कार...

पूज्य पिताजी- मनोज शाह

जेब खाली हो फिर भी कभी मना नहीं करते मैंने अपने पापा से अमीर आज तक नहीं देखे पिता एक उम्मीद है, एक आश है परिवार की...

गाँव की औरतें- देव लाल गुर्जर

गाँव की औरतें जब कर रही होती है खेत पर धान की रोपाई तो उनकी चूडियाँ ......रचती है आषाढ़ के सुनहले गीत गाँव की औरतें जब गा रही होती है लोक देवियों...

भगवान हो चले- तारांश

लबादा ओढ़कर इंसानियत का शैतान हो चले इतने अंधे हुए खुदगर्ज़ी में कि बेईमान हो चले नाश धरती का कर दिया तुम्हारे जीतने की चाह ने क़हर...

स्वयं से मिलने की यात्रा- दीपक सिंह

स्वयं से मिलने की यात्रा मुक्ति की यात्रा है! मैं मुक्त होना चाहता हूं किन्तु तुम्हें भूलना नहीं चाहता! याद है तुम्हें..? तुम मुझे यात्री कहकर पुकारती थी मैं जानता हूं अब...

कोरोना- अमरेन्द्र

कोरोना पड़ सकता है तुमको रोना, यह भारतवर्ष की भूमि है, यहां अनगिनत वीर भरे, भारतवर्ष की ओर न देखो, पकड़ लो जल्दी कोई दूसरा कोना, कोरोना पड़ सकता...

ये वायरस है साहब- वाजिद नागौरी

न हिन्दू देखता है न मुसलमान देखता है ये वायरस है साहब सिर्फ इंसान देखता है न मंदिर देखता है न मस्जिद देखता है आने के लिए...

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