Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: April, 2020

आत्मनिर्भर बनना कोरोना महामारी से मिला सबसे बड़ा सबक है- प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 2020’ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर की ग्राम पंचायतों के...

जुलाई 2021 तक केंद्रीय कर्मचारियों के डीए पर लगी रोक

कोरोना महामारी से जंग के लिए आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के केंद्र सरकार अनेक कदम उठा रही हैं और बहुत से सरकारी खर्चों में...

तीखा तीर- वीरेन्द्र तोमर

चुस्की चाय की ले उड़े किया अमेरिका कूच बुला वेद ज्ञाता लिये, करें हवन सदन के बीच होता कहीं यदि इस देश में तो होता हाहाकार टीवी पर होती बहस, होता...

मेरा क्या कसूर- अनामिका वैश्य

मुझसे दूर-दूर था ख़ुद में ही मगरूर था कह दो मेरे दिलबर मेरा क्या कसूर था ग़ैर कर दिया तूने अपना बनाकर मुझे ख़ता मेरी नहीं थी...

तुम्हारे लिए- सरस्वती मिश्र

तुम्हारे दर्द का गरल समेट लेना चाहती हूँ अपने होठों और हृदय के ठीक बीच में तुम्हारे प्रेम में बहुत बार नीलकंठ हो जाना चाहती हूँ मैं तुम्हारे कंठ...

मैं डॉक्टर हूँ- गरिमा राकेश गौतम

कर्तव्य पथ पर खड़ा सेवा का व्रत हें लिया दिन रात ना मैंने देखा मैं एक डॉक्टर हूँ जान हथेली पर लेकर मर्ज तुम्हारा छूता हूँ। हिन्दु-मुस्लिम सिक्ख-ईसाई से परें इलाज...

हौसला अपना- सुनील माहेश्वरी

अपने मनोबल को इतना सशक्त कर, कठिनाई भी आने से न जाए डर, आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर, बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं कोई असर। हौसला अपना बुलंद कर...

हे माँ- सिंधु मिश्र

हे माँ! क्या माँ शब्द तेरे लिए सिर्फ एक शब्द है क्या नही जानती तू इसका अर्थ मर्म,ममता,मानवी और अपनत्व- इन गुणों से भरा है माँ क्या हुआ जो तेरी मांग...

अम्बर प्यार लुटाता है- कुमारी स्मृति कुमकुम

जब बून्द तरसती है धरती, अम्बर प्यार लुटाता है, अंधियारी काली रातों में, पवन वेग बढ़ जाता है, टूट टूट कर शाखों से जब, पत्ते भी...

कर्मयोगी- वीरेन्द्र तोमर

खुशी पिता को होती है जब जन्म पुत्र का होता है बेटे को महान बनाने की, अभिलाषा लेकर जीता है नाना प्रकार की मांगो को, ला कर बेटे को...

वही ख्वाब हूँ मैं- रूची शाही

तूने जिसे तोड़कर है फेंका, वही तो ख्वाब हूँ मैं दर्द भी हद से ज़्यादा हूँ मैं, अश्क भी बेहिसाब हूँ मैं तेरी बेरुखी को सह...

सुहागनी रंग- निधि भार्गव

तेरे साथ की तमन्ना करते करते न जाने कितने सफ़र अकेले तय कर चुकी हूं मैं कितनी ही सुबहों को रातों की ये बैचेनियां सौंपी है मैंने खुशनुमा उजालों...

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