Daily Archives: May 7, 2020
दोहे- अशोक मिश्र
अब मजहब की ढ़ेर पर, बारुदी दीवार।
मूढ़ पलीता ले खड़े, लोकतंत्र लाचार।।
सैतालिस में पड़ गई, बटवारे की रेख।
तीनो बंदर खुश हुए, चौड़ी खाई देख।।
मजबूरी...
इंसान ही है या कुछ और हो गए हम- मनु शर्मा
मानवीय समाज में हो रहे अमानवीय कृत्यों को देखते हुए, आज हमारे अंदर इंसानियत होना तो छोड़ो अपितु इंसान होने पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह...
प्रेम में भरना- जसवीर त्यागी
तुम्हें याद न करते हुए भी
कई-कई बार याद करता हूँ
यह जानते हुए कि
तुम अपने काम में डूबी होगी
फिर भी रह रहकर देख लेता हूँ...
शिकस्त स्वप्न- नेहा सिन्हा
स्वप्न की स्मृति में
एक ओझल चित्र,
बार-बार समीप आता है
मै उसे देखना चाहती हूँ
समझना चाहती हूँ,
क्योंकि वह मेरी
अधलिखी कविता है
जिसे पूरा करना चाहती हूँ
इतनी चैतन्यता...
बाग़बान- ईशिका गोयल
कैसे सोच लेते है लोग कि माँ बोझ है?
चलो वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं
माँ से ही जन्म लेकर,
माँ को ही आंखें दिखाते हैं
माँ वने ही...
कर्मचारियों का साथ- शिल्पा कुमारी
इस लॉकडाउन के दौर में
रहना हमें भी सरकार के साथ है,
सरकारी कर्मचारियो का हर वक़्त देना साथ है
रोकना हर उस हाथ को है
जो उठते...
तुमसे छुप के- निधि भार्गव
मैं एक समतल ज़मीन की तरह थी,
जिस पर तुम्हारे
दर्द का साया
गम की बालू,
तल्खी की ईंट
और बेरूखी की सीमेंट ने,
आंसूओं का पानी मिला के
कविताओं की...
माँ- अमृता कुमारी
माँ से अधिक, न करता लाड़ कोई
माँ से अधिक, न सहता कष्ट कोई
माँ से ही तो हम हैं,
न माँ तो न हम
माँ से अधिक,...
खेतिहर मजदूर- निशांत खुरपाल
तेल में तली हुई
भिंडी की तरह
अधनंगे बदन में,
कर रहा है वो काम
खेत में
उतार कर्जा
खेत से बचे
मुट्ठी भर चावल बना।
उन्हें हाथ से ही खाता है
क्योंकि,
उसके...
मज़दूर दिवस- दीपिका गौतम
मज़दूर दिवस, क्या है मज़दूर दिवस? यह दिवस हमें हमारे देश के मज़दूरों के संघर्ष, चुनौतियों, कठिनाईयों आदि से अवगत करवाता है। यह दिवस...
देश में पिछले चौबीस घंटों में सामने आए कोरोना के 3500 नए मामले
देश में लागू लॉकडाउन के बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार...
नदी- रक्षित राज
हम गलत व्याख्या करते हैं कि
हर नदी समन्दर में मिलना चाहती है
यही उसकी नियति है
यही नीतिसंगत है
ऐसा कहने वालों कि नीयत ठीक नहीं
हमारा अपनी...