Monday, October 21, 2024

Daily Archives: May 10, 2020

डीआरडीओ ने बनाये इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कागजों और नोटों को कीटाणुमुक्त करने के लिए स्वचालित यूवी सिस्टम

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रमुख प्रयोगशाला, रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई), हैदराबाद ने एक स्वचालित व संपर्करहित यूवीसी सेनेटाइजेशन कैबिनेट विकसित किया...

12 मई से चलेंगी 15 जोड़ी चुनिंदा यात्री ट्रेनें, सोमवार से शुरू होगी बुकिंग

भारतीय रेलवे ने 12 मई से धीरे-धीरे यात्री ट्रेनों का परिचालन फि‍र से शुरू करने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत 15 जोड़ी ट्रेनों...

माँ के नाम- निशांत खुरपाल

जब भी देखी, मैंने उसके कटे-फटे पैरों में दरारें देखी हैं,माँ कितनी भी गुस्से क्यों ना हो,मैंने उसकी जुबां पर दुआओं की बौछारें देखी...

सबसे बड़ी कविता है माँ- जसवीर त्यागी

एक शब्द कीकविता हैमाँ सबसे छोटेशिल्प में रची गयी सबसे बड़ीकविता हैमाँ जब माँयाद आती है फिर-फिरयाद आती है घिर-घिरयाद आती है थिर-थिरयाद आती है चिर-चिरयाद आती है जब माँयाद आती है बसयाद...

आँचल में बस प्यार है- प्रियंका प्रिया

माँ जिसके आँचल में बस प्यार है, जिसकी फटकार में भी दुलार है, संसार के हर मूरत से तू भली, माँ तेरे आँचल के तले ज़िन्दगी ये ढली, तेरे...

प्रेम अनूठा रोग- जॉनी अहमद

मीरा के मन बसे कन्हैया बसे गोपाल के मन राधे प्रेम अनूठा रोग है जिसमें पी बिन लागे सब आधे कोई सुँदर तन देखे कोई धन के पीछे दौड़...

उन्हें देखा तो- सुरेंद्र सैनी

आके पूछते हैं वो हमें कैसा लगा अब क्या बताएं उन्हें कैसा लगा उन्हें देखा तो कुछ ऐसा लगा किसी हूरे-जन्नत के जैसा लगा वक़्त गुजरा उनके बाहंपोश...

भूमि पूजन- अंजना वर्मा

आज मशहूर बसेरा बिल्डर्स के नये अपार्टमेंट के भूमि-पूजन समारोह में शहर के नामी-गिरामी लोगों का हुजूम सुंदर-सुवासित परिधानों में जुटा हुआ था। जिस...

टूटती-बिखरती संस्कृति और संस्कार- त्रिवेणी कुशवाहा

राहुल अपनी शिक्षा पूरी करके एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत था। महानगरीय जीवनशैली के खान-पान, रहन-सहन तथा बोलचाल में...

1857 का विद्रोह: स्वतंत्रता संग्राम या सैनिक विद्रोह- मोहित कुमार उपाध्याय

1757 की प्लासी विजय से लेकर 1857 के सैनिक विद्रोह तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस समय के लगभग संपूर्ण भारत पर, अपनी...

माँ लौटा दो- अनिल कुमार मिश्र

रिश्तों की राहें सब टेढ़ी अपने सब हैं छलनेवाले इसको तोड़ा,उसको तोड़ा,सबको फोड़ा सब रिश्तों को सब रिश्तों से तोड़ा, फोड़ा अब रहने भी दो छोटे भाई, बहन का...

भले ज़माने- निशांत खुरपाल

मुद्दतों बाद जब हम कभी, एक-दूसरे से मिला करते थे, पहले जी भर कर एक-दूसरे का दीदार, और फिर एक दूसरे से गिला करते थे हमारे दौर में,...

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