Monthly Archives: May, 2020
उदासियों के लिए- रूची शाही
ये गलत था कि मैं हमेशा
अपने हालात से
उपजी इन उदासियों के लिए
चाहती थी तुमसे कोई उपचार
अपनी जिद और अपनी बात
ऊपर रखने के लिये
विवश भी...
मन इक जंगल- विभा परमार
मन इक जंगल ही तो है
और उसमें निरंतर विचारों का
आवागमन दलदल ही तो है
विचारों का ये दलदल
धीरे धीरे गहराता जाता है
सर्द रातों के घने...
कोरोना- प्रीति कुमारी
देश की जान बचाओ यारो,
कोरोना मुक्त भारत बनाओ यारो।
घर पर ही रह कर,
प्राचीन संस्कृति अपनाओ यारो।
हाथ जोड़ कर करो नमस्कार,
दूर रह कर करो वाद...
अमानत- जसवीर त्यागी
एक दिन उसने कहा-
तुम तुम्हारे पास अमानत हो मेरी
यूँ ही नहीं
कोई सौंप देता अपनी अमानत
किसी को भी
जहाँ नम होती है
यकीन की जमीन
प्यार का पौधा...
मोल लिया बीमारी- वीरेन्द्र तोमर
मानो बात हमारी
नहीं दूर होगी बीमारी
कोरोना को समय लगेगा
जल्दी यह नहीं भगेगा
ताला की दे दो चाबी
चालू कर दो सब गाड़ी
मजदूर अब नहीं रुकेगा
घर रह...
आर्थिक पैकेज के दूसरे में चरण में प्रवासी मज़दूरों, किसानों, छोटे कारोबारियों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए घोषणा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने...
मटका- अन्नपूर्णा देवांगन
गीली मिट्टी को दे रूप,
कुम्हार ने मटका बनाया था
चाक पर रख कभी,
हाथ से थपकाया था
लकड़ी के डंडे से पीटा भी,
चाक पर कई बार घुमाया...
प्यारी माँ- जयलाल कलेत
जग हैं घनघोर धूप और,
शीतल छाया है माँ
हमारे हरेक सुख दुख का,
अजीज काया है माँ
आज भी नन्हा मुन्ना सा,
तेरा वहीं बच्चा हूँ माँ
धूल से...
आदमी- ममता रथ
खुद तमाशा आजकल
बनने लगा है आदमी
खुद की परछाइयों से अब
डरने लगा है आदमी
टुकड़े कर रहे हैं
हम धर्म और भाषा के
इसलिए नफरतों की भीड़ में
चलने...
स्वप्न- शीतल ठाकुर
पहाड़ों पर रात का नज़ारा
रात को पहाड़ों पे टिमटिमाती लाइट
जुगनू जैसी प्रतीत होती है
लाइटों का बना झुंड
ऐसा लगता है मानो
सारे जुगनू मिल कर कोई...
मिलना जरूरी है- सोनल ओमर
जिस प्रकार मिलने से होती प्रीत पूरी है
उसी तरह मिले बिना बिछड़न भी अधूरी है
बिछड़न को रोकने के लिए ही सही
एक बार मिलना बहुत...
शहीद- गरिमा गौतम
मैं शहीद हूँ
और
मैं नही चाहता हूँ
देश मुझे
नमन करे
वंदन करे
प्रणाम करे
पुष्प अर्पण करे
स्मरण करे
मैं शहीद हूँ
और
मैं चाहता हूँ
उत्सर्ग किया तन को
जिस वतन के लिए
उस वतन...