Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: May, 2020

देश में पिछले चौबीस घंटों में सामने आए कोरोना के 3500 नए मामले

देश में लागू लॉकडाउन के बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार...

नदी- रक्षित राज

हम गलत व्याख्या करते हैं कि हर नदी समन्दर में मिलना चाहती है यही उसकी नियति है यही नीतिसंगत है ऐसा कहने वालों कि नीयत ठीक नहीं हमारा अपनी...

बेइंतहा प्यार- आलोक कौशिक

डीएम ऑफिस से आने के बाद से ही दीपमाला बहुत दुखी और परेशान थी। वह आईने के सामने खड़ी होकर अपने ढलते यौवन और...

घर वास का चौदहवां दिन- मनोज शाह

घर वास का चौदहवां दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी तो मर्यादा, आज्ञा, धैर्य, संयम, संकल्प, मातृत्व, राजत्व पालन करते हुए, अपनी लीलाएं, संस्कार, पराक्रम, पुरुषार्थ, वैभव, विजय, सत्यपथ...

कमाई- तारांश

मुनिया रहती है अपने पति सरजू के साथ शहर की एक छोटी सी बस्ती में बहुत ग़रीब हैं दोनों पर अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए कमाते...

मेरी माँ- प्रीति वर्मा

मेरी दुनिया शुरू है माँ तेरे से ऐसा कोई रास्ता बता जिस से सदा रहूँ तेरे पास ये रिश्ते नाते सब तोड़ दूँ जिसने जन्म दिया सदा उस...

तीखा तीर

नरेगा, मनरेगा की सही हो जाए जांच 90 प्रतिशत प्रधानों की खुल जाएगी कांच पूर्व प्रधान विपक्ष का नेता हो कॉलोनी-शौचालय पर मांगे जाते वोट एपीएल-बीपीएल में पूरी...

स्वप्न पूर्ण हों तुम्हारे- दीपमाला पाण्डेय

स्वप्न पूर्ण हों तुम्हारे यहीशुभकामना है हमारीजीवन में सफल हो तुमये आराधना है हमारीतुम सदैव ऐसे ही हर पलजिंदगी हर मुस्कुराते रहनाखुशियों के फूलों...

पहला जवाब- भुवनेश्वर चौरसिया

मैंने उन्हें विपत्ति के समय खत लिखा जो अपने थे पहला जवाब आया थोड़ा धीरज रखिए सब ठीक हो जाएगा वर्षों बीत गए हालात जस के तस मैंने उन्हें दूसरा खत...

अंतिम इच्छा- ममता रथ

एक बार मैंने सोचा लोगों से उनकी अंतिम इच्छा पूछी जाए सब हमारी जिंदगी में झाँकते हैं आज उनकी जिंदगी में झाँका जाए पूछा एक बच्चे से अंतिम...

महल- अनिल कुमार मिश्र

अट्टालिकाएँ यूं पडी रह जाएँगी खंभे उसमे सब गड़े रह जाएँगे बेईमानी हर पल तुझे तड़पाएगी ना चैन आएगा तुम्हें ना नींद आएगी तेरे महल के पाषाण भी...

मज़दूर- ज्योति अग्निहोत्री

मद्धम-सी रौशनी में, मेरी लकीरों से ज़्यादा, मेरे हाथों के निशान दिखते हैं हम मज़दूर हैं साहब, अलग अलग दामों में बिकते हैं मेरे इन्हीं हाथों से लड़ी की...

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