Monthly Archives: May, 2020
मृत संवेदनाएं- अरुण कुमार
मर चुकी हैं लग रहा संवेदनाएं अब हमारी मर चुकी हैं
अब किसी के जख्म पर मरहम लगाते क्यों नही?
अब किसी के दुःख में आंसू...
कुछ कमी सी है- निशांत खुरपाल
कुछ कमी सी है, जो खल रही है,
मेरे अंदर एक उदासी, बरसों से पल रही है
थोड़ी देर तो बैठ, फिर बेशक चले जाना,
यार अभी...
तीखा तीर
चार ताले लग चुके
अब पाँचवें की तैयारी
कोरोना से यदि बच भी गये,
भुखमरी फैलेगी भारी
जन जीवन सामान्य बनाओ
कोरोना से मत घबराओ
-वीरेंद्र तोमर
शराबी- जॉनी अहमद
जब पहला घूँट शराब का साथियों संग गटका
जब पहली बार घर लौटने का रास्ता मैं भटका
नशे का पहला बादल जब मेरे सर पे मंडराया
और...
ज़िंदगी में- रामजी त्रिपाठी
इतने सजा लिए हैं व्यवधान ज़िंदगी में
दबे हुए से जी रहे जिंदगी, ज़िंदगी में
सिंदूर की चमक हो, पुत्र की धमक हो
कहने को सब हैं...
नहीं मालूम मुझे- विभा परमार
नहीं मालूम मुझे
कि कल्पनाओं में
जीना कहां तक ठीक है
मगर मैं जीती हूँ
अक्सर,
कल्पनाओं के सागर में
उसकी गहराई को मापने
फ़िर सोचती
आख़िर मेरा मन वास्तविकता से इतना...
तीखा तीर
मजदूरों के अभाव में
मुंबई हो रही परेशान,
मजदूर पलायन कर रहे
अब कौन करेगा काम,
यूपी में काम मिलेगा,
सुन योगी का पैगाम
-वीरेंद्र तोमर
हँसी तुम्हारी- मुकेश चौरसिया
चाँद सितारे, हँसी तुम्हारी।
सभी नजारे, हँसी तुम्हारी।
बहते झरने, झील, समुंदर।
कल कल धारे, हँसी तुम्हारी।
हँसी तुम्हारी, रात चाँदनी।
दिन उजियारे, हँसी तुम्हारी।
घंटी, पूजा, शंख, आरती।
सब जयकारे,...
एहसास बहुत है- अन्नपूर्णा देवांगन
लिखना चाहती हूँ मैं, पर कलम उदास बहुत है
शब्द मेरे पास नहीं है, मगर एहसास बहुत है
छोड़ा न दामन कभी गम आता ही गया
आयेगी...
भारतीय नारी- राम सेवक वर्मा
क्यों भारत में जलती रहती, सदा सुहागन नारी है
जनमानस क्यों बेसुध रहता, यह कैसी लाचारी है
पुत्र जन्म लेते ही घर में, लहर खुशी की...
लेखकों से निवेदन- अरुण कुमार
सबक मिले, आदर्श लिखो
कुछ ऐसा प्रतिदर्श लिखो
मान बढ़े, सम्मान बढे
गौरव गाथा का गान बढे
डूब मरे, गद्दार है जो
बेशर्मों को धिक्कार लिखो
आचार लिखो, सुविचार लिखो
कुछ तुम भी...
रोटी- सुरेंद्र सैनी
आज कोर्ट में एक अठारह साल के लड़के राम का केस आया। उसने एक दुकान से चोरी की थी। हर कोई बेचैन हो रहा...