Monthly Archives: May, 2020
कलियुग की करामात- शिवम मिश्रा
धर्म के नाम पर कट रहे सर
अधर्म के नाम का है बोलबाला
लूटी जा रही स्त्रियों की अस्मत
ढाया जा रहा निर्दोष बच्चों पर ज़ुल्म
रक्तरंजित हो...
फुरसत के पल- निधि तिवारी
फुरसत के पल
मिले जो,
तो जीना है बचपन,
करनी है शरारत,
करनी है बदमाशियां,
फुरसत के पल
मिले जो,
तो खुद के लिए तलाशें
कुछ खुशियां
खुद के लिए ढूंढ निकाले
कुछ जिंदगी...
देश के सच्चे रक्षक डॉक्टर- प्रीति चतुर्वेदी
देश के है ये सच्चे रक्षक
कभी नहीं बनते है ये भक्षक
नाम है जिनका संरक्षक
विभिन्न नामों से पुकारते है लोग इन्हें
किसी के लिए प्रभु का...
ज़िन्दगी के दिन- गरिमा गौतम
कभी धूप कभी छाँव,
कभी खुशी, कभी गम में
ऐसे ही निकल गये,
ज़िन्दगी के दिन...
कभी ग्रीष्म की तपन,
कभी शीत की चुभन
कभी सावन की फ़ुहार में
ऐसे ही...
प्रगाढ़ प्रेमी- जसवीर त्यागी
पड़ोस का एक नौजवान लड़का
प्रगाढ़ पशु-प्रेमी है
वह सुबह-शाम
मोबाइल पर बात करता हुआ
अपने पालतू कुत्ते को
पार्क में टहलाने ले जाता है अक्सर
उसका बीमार बाप
बिस्तर पर...
देश में लगातार बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या: 138,845 पर पहुंचा आंकड़ा
देश में लागू लॉकडाउन के बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में अब...
लॉकडाउन के बावजूद पिछले वर्ष की तुलना में सरकार ने खरीदा अधिक गेहूं
कोविड-19 की वजह से देश व्यापी लॉकडाउन के कारण उत्पन्न तमाम बाधाओं के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने इस बार 24 मई तक 341.56 लाख मीट्रिक टन...
समय उड़ चला- शिप्रा खरे शुक्ला
तुम चल दिए साथ
लेकर अपना समय
कोख़, गोद और पहियों पर
घसीटते और कढिलाते
तुम्हारे ज़हन में थी सिर्फ
साल भर दो जून की रोटी
तुम इससे फारिग कहांँ
और...
हे शिव शंकर- स्नेहलता नीर
आज विश्व पर संकट छाया, रक्षा करना हे शिव शंकर
घर के अंदर दुबके बैठे, विकट त्रासदी से सब डरकर
तालाबंदी के चलते अब, रोजी बिन...
बेटी- सुरेंद्र सैनी
मैं कितना ख़ुश हुआ
जब तुम
आयी थी इस दुनिया में
तुम्हार नन्हे-कोमल हाथ
मुझे आनंदित कर रहे थे
जैसे तुम मुझे शुक्रिया कह रहीं
तुम्हारे आने के बाद
मुझे जरुरत...
भाईचारा- त्रिवेणी कुशवाहा
कुछ भी हो गऊंवा तो महानगरों से प्यारा है,
नाम के संग पुकार नही आपसी भाईचारा है
पड़ोसी हो या पराया सब रिश्ते में ही लगते...
एहसास- निशांत खुरपाल
हाँ, इसमें सब कुछ नया सा लगता है
कई बार चल तो सब कुछ रहा होता है
लेकिन, सब कुछ ना जाने,
क्यों ठहरा सा लगता है?
अकेले...