Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: June, 2020

दिल्ली को मिलेंगे 500 रेलवे कोच, बढ़ेगी कोरोना टेस्टिंग: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोविड-19 के हालातों पर समीक्षा बैठक ली। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने...

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने की खुदकुशी

बॉलीवुड एक्टर और टीवी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वे 34 साल के थे। जानकारी के अनुसार सुशांत सिंह राजपूत...

ज़िन्दगी एक किताब होती- ममता रथ

ज़िन्दगी एक किताब होती तो सच में कितना अच्छा होता पन्ने पलट कर पढ़ लेती आगे क्या अच्छा होगा मिटा देती उन लम्हों को जिसमें कुछ बुरा होता ज़िन्दगी एक...

करना न मोहब्बत कभी- आलोक कौशिक

हुई भूल जो समझा उन्हें शाइस्ता जाती है अब जान आहिस्ता-आहिस्ता करना न मोहब्बत कभी बेक़दरों से ऐ दिलवालों तुम्हें वफ़ा का है वास्ता मंज़िल तो मिलती नहीं...

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई की समीक्षा की

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत की ओर से जारी कार्रवाई की समीक्षा के लिए वरिष्‍ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ...

फ़क़त ग़म की पनाह मिली हमें- जॉनी अहमद

उससे चाहत की चाह रखी तो आह मिली हमें दोबारा फिर इश्क़ न करना ये सलाह मिली हमे हमने ख़ुशी की चौखट पर रात भर अश्क़...

मैं तुझसे दूर आ गयी- गरिमा गौतम

मुझे इंतजार था तुमसे मिलने का ढ़ेरों बातें करने का तुम्हे अपलक निहारने का औऱ जब मिलने की घड़ी आयी पाँव बेजान से हुये दिल की धड़कनों में तेजी आयी कैसे करूँ सामना...

सब कुछ सूना है बिन जल- सुरेंद्र सैनी

नाउम्मीद सा होता कल नहीं सीख पर कोई अमल सृष्टि प्यासी रह जाएगी धरती रह जाएगी सजल सब कुछ सूना है बिन जल खेतों में फसलें सूख गयी नीर सतत ...

दोस्ती का रिश्ता- अतुल पाठक

दोस्ती का रिश्ता नाता होता ऐसा ख़ास जिसमें घुली रहती सदा अपनेपन की मिठास दोस्ती का रिश्ता जो हरदम होता साथ जब भी गिरा एक तो दूजे...

ढाई आखर- जसवीर त्यागी

प्रेम मनुष्य का आंतरिक गुण है यह प्रेम करने वाले ही जान सकते हैं प्रेम से परे दूर खड़े हुए लोग जात-बिरादरी अमीर-गरीब गोरा-काला लम्बा-छोटा ही देख सकते हैं उसका आंतरिक पक्ष नहीं देख...

प्रेम का दाह- सोनल ओमर

तुम्हारे प्रेम में रहती हुई, खुद से कई बार लड़ी मैं खुद को ही ज़िंदा रखने को, खुद में कई बार मरी मैं मुश्किल था तेरे छल को, भूलकर...

पल में बदलते रिश्ते- सुरेंद्र सैनी

यही देखना रह गया चलते-चलते गिरगिट से लग रहे बदलते रिश्ते कौन जाने अंदर, नासूर दबा था जबकि लोग लग रहे हँसते-खेलते ज़माने में बेगैरत जन भरे पड़े...

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