Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: June, 2020

आधार है जीवन का पानी- अरुण कुमार

पानी-पानी कर डाला पानी पानी बिन आंख झरे पानी मृत प्राणी होता बिन पानी आधार है जीवन का पानी सूखी नदियां झरने सूखे सरिता का यौवन है पानी बिन पानी...

एक तू ही सहारा- मनोज मंजर

कोरोना के मरीज थे चंद जब तुमने किया था भारत बंद तब अब जब है लाखो मरीज बने तो तुमने खोले ये बाजार सब ये कैसी तुम्हारी देशनीति...

मैं लौटना चाहूँगा- जसवीर त्यागी

दरवाजे बंद हो रहे हैं दरवाजे लगातार बंद हो रहे हैं एक गति से तेज आँधी ने भर दी है इंसान की आँखों में धोखे की धूल मैं जिस भी...

कहाँ तक गिरोगे- अनिल कुमार मिश्र

कहाँ तक गिरोगे मनुज तुम बताओ कहां तक गिरोगे? अरे कोई सीमा तो गिरने की होगी दिल तो दहलता तुम्हारा भी होगा सोच है संकुचित मन मे कितना...

वास्तविकता का वर्णन करता हूँ मैं- त्रिवेणी कुशवाहा

दर्पण के उजाले में मेरा अक़्स नजर आया, जीवन की वास्तविकता से दर्शन है कराया दूसरों की कमी सदा देखते तुम कभी अपनी भी तुम देख लो, पत्थर फेंकना आसान...

भुलाये नहीं गये- निशांत खुरपाल

तुझ पर लिखी शायरी के किस्से, भुलाये नहीं गये, कुछ गीत अभी भी बाकी हैं, जो गुनगुनाये नहीं गये तुझे तो शरीर के ज़ख्म देख, चक्कर...

पौधे और हमारा जीवन- रामसेवक वर्मा

भारत ही नहीं संपूर्ण जगत का वह भाग जहां कोई भी प्राणी अपना जीवन व्यतीत कर रहा है, पौधों के बिना संभव नहीं है।...

शिक्षा का नवीन स्वरूप- वीरेन्द्र प्रधान

गुरुकुलों से आज तक आते-आते शिक्षा में हुए नये-नये प्रयोग हुये सुधार भी नाना प्रकार कुछ से उन्नयन हुआ तो कुछ से बंटाधार समाज में मूल्यों में गिरावट...

कोई भी मौसम हो-जयलाल कलेत

वो खूब हंसी उड़ाते हैं, मुझको छोटा जताते हैं, लोग उतनी ही मजबूती से, खामियां मेरी बताते हैं पर कोई भी मौसम हो, बागों में फूल महकते हैं, लोग नजरों...

बढ़ सकती हैं लड़कियों के विवाह की उम्र, मातृत्व की आयु पर गौर करने टास्क फोर्स का गठन

देश में लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ सकती है। केंद्र सरकार ने लड़कियों की मातृत्व की आयु, मातृ मृत्यु दर को कम करने...

इन्हीं पंखों की हवाओं से- मनोज शाह

बेशुमार गर्मी गुजार रहा हूँ, इन्हीं पंखों की हवाओं से एसी है न कूलर, काट रहा हूँ, इन्हीं पंखों की हवाओं से कमरे के एक कोने में, मण्डप में...

वह स्त्री- जसवीर त्यागी

वह स्त्री बेख़ौफ़ एक छोर से दूसरे छोर तक रोज चलती है घर-गृहस्थी की बंधी दिनचर्या की रस्सी पर वह स्नेह का शहतीर है जिस पर टिकी हैं संबंधों की कड़ियाँ वह...

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