Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: June, 2020

मेरे पापा- गरिमा गौतम

पापा सम्बोधन मात्र नहीं रक्षा कवच घर का संघर्ष है जीवन का खुशियां है परिवार की पापा सम्बोधन मात्र नहीं सारी समस्याओं का हल हैं सुरक्षा कवच है मेरा उनकी जिद सफलता...

पापा- अतुल पाठक

संघर्ष की आँधियों से कभी डरे नहीं हौंसलों की उड़ान हैं पापा बच्चों की हर ख़्वाहिश हर ख़्वाब वो पूरा करते हम बच्चों की शान हैं पापा खून...

नागफनी- मुकेश चौरसिया

कितनी सुंदर हो तुम तुम्हारी सुंदरता का हमें एहसास ही नहीं था हम तो बस गुलाबों से दिल लगाते रहे तुमसे दूर-दूर जाते रहे काँटों में सौंदर्य? यह भान ही नहीं...

चीन को जल्द ही पछाड़ा जाएगा- अतुल पाठक

वीर सैनिक की शहादत को हरगिज़ न भुलाया जाएगा चीन को कड़ी चेतावनी है ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा चीन की सैन्य शक्ति को जल्द ही पछाड़ा...

रिश्तों में अपनेपन का एहसास- निशांत खुरपाल

एहसास के साथ शुरू होता है रिश्ता जैसे बारिश के बाद मिट्टी से सोंधी-सोंधी खुशबू आती है बिल्कुल वैसी ही खुशबू कभी हमारे रिश्ते से आया करती थी वो...

कहाँ से लाएगा चीन- शिवम मिश्रा

योद्धा महाराणा जैसा भक्ति मीरा जैसी श्रद्धा सबरी जैसी वीर शिवाजी जैसा कहाँ से लाएगा चीन धर्म सनातन जैसा राष्ट्र आर्यावर्त जैसा शिखा ब्राह्मण जैसा क्षत्रिय राजपूत जैसा कहाँ से लाएगा चीन कर्तव्य वैश्य...

प्रवासी मज़दूरों के लिए पीएम मोदी ने किया गरीब कल्याण रोजगार अभियान का शुभारम्भ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गांव लौटे प्रवासी मज़दूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान का शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री मोदी...

जिंदगी के हसीन पल- रामसेवक वर्मा

जिंदगी के हसीन पल हमने खोए हैं मुहब्बत करके सदा हम रोए हैं जीता रहा हूं मुश्किलों में हमेशा, फिर भी ख्वाब बहुत हमने संजोए हैं 🔹 🔹...

दो पत्थर- मुकेश चौरसिया

दो पत्थर, एक मंदिर के भीतर पूजित, एक बाहर परित्यक्त उपेक्षित, भीतर वो जो मूरत जैसा, देवपुरुष की सूरत जैसा ऊबड़-खाबड़ सा, जो बाहर, लज्जित अपनी हालत पर बाहर वाले ने...

आँख दिखाने की कोशिश मत कर- मनोज शाह

हमारी सब्र की इंतहा मत ले हम मरकर भी मारना जानते हैं हम हमेशा शांति समर्पण देश है कोई उकसाए तो मारना भी जानते हैं बासठ वाली गलतफहमियां बार-बार ...

यूं बिन बताए जाना- प्रीति चतुर्वेदी

जाता नहीं कोई हमें यूं छोड़कर गया होगा ज़िन्दगी से वो हारकर टूटा होगा उसका दिल अंदर तक रोया होगा वो अकेले रातभर इसलिए चला गया वो मुंह...

आफतों से भरा यह वर्ष- पूजा पनेसर

आफतों से भरा यह वर्ष ना कम था किसी नरक से, जिसे मानव ने बोया और कुदरत ने पिरोया, कहर ना रहा सीमित, ना बच्चा देखा ना बूढ़ा लिया चपेट...

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