Monthly Archives: June, 2020
बदलता स्वरूप इंसान- त्रिवेणी कुशवाहा
ईश्वर ने इंसान बनाया, वजूद भूल रहा है,
इंसान अपना रंग रूप स्वरूप बदल रहा है।
छिन्न भिन्न निज अंग को कर रहा कुरूप,
तोड़ रहा दांत कोई तो कोई बनता अनूप।
छेदता...
रानी लक्ष्मीबाई- सोनल ओमर
छबीली का बचपन लिखूं
मनु का अल्लहड़पन लिखूं
आजादी की जो मशाल बनी
उस लक्ष्मी का जीवन लिखूं
लक्ष्मी की ललकार लिखूं
नारी की तलवार लिखूं
सबसे पहले लगाई हुई
आजादी...
माँ एक अनमोल तोहफा- राजन कुमार
जिन्हें माँ की याद नहीं आती
उन्हें माँ की जगह किसकी याद आती है?
जिन्हें बहन की याद नहीं आती
उन्हें बहन की जगह किसकी याद आती...
ज़िन्दगी की बेबाक सच्चाई- अतुल पाठक
दलदल इंसान को बुरी तरह फँसा देती है, जिससे निकल पाना शायद मुश्किल सा हो जाता है। चाहें ये आम इंसान की ज़िन्दगी की...
अपने बोध और बुद्धिमत्ता को बनाए रखें- सुजाता प्रसाद
सच ही कहा गया है कि कुछ भी असंभव नहीं होता है। चाहे वह जीवन का उजला पक्ष हो या काला पक्ष, इस पर...
वो छुअन ही नशा है- रूची शाही
वो जो चूम के लबों सेपीठ पर लिख गए थेवो छुअन ही नशा हैवो मुहब्बत शराब है
तुम हँस के मिलो सबसेसब हँस के मिले...
ज़िन्दगी- अतुल पाठक
ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव के आते कई पड़ाव
सुख-दुख इक दूजे के पूरक जैसे धूप-छाँव
वक़्त का पहिया चलता ही रहता
क्षण-क्षण उसका बदलता रहता
क्या पता कब तक...
कितना आसान है- जॉनी अहमद
कितना आसान है दुनिया में दिखावा करना
किसी की ख़ुदकुशी पे कोई भी दावा करना
जब तलक़ ज़िन्दा थे न था कोई रिश्ता उनसे
सबको यहाँ आता...
आंखें खुली हैं वक़्त की- पुष्पेन्द्र सिंह
वो चल रहा था बस यूं ही अपने हिसाब से
आंखें खुली हैं वक़्त की मेरे ज़वाब से
जितना यह मेरी ज़िंदगी मुझको सिखा गई
उतना अभी...
प्रहरी- सुजाता प्रसाद
देकर आहुति अभिलाषाओं की
प्रहरी बन हरदम डटे रहते हो
देश पर कोई आँच ना आने पाए
सरहद पर दिन रैन तने रहते हो
मातृभूमि पर जान लुटाने...
सम्वाद होना चाहिए- सोनल ओमर
प्रिय! कारण चाहे कुछ भी हो
चुप नहीं हो जाना चाहिए
मौन होने से श्रेष्ठकर है कि
सम्वाद होना चाहिए
प्रतिवाद ही सही, कोप ही सही
भले उलाहना ही...
रानी लक्ष्मी बाई- गरिमा गौतम
वीरता की देवी थी
साक्षात महाकाली थी
रण भूमि में तांडव मचाती
लक्ष्मी बाई रानी थी
रण चंडी का रूप थी
अंग्रेजों की मौत थी
बुझती झांसी का वो
इकलौता चिराग...